उत्तर प्रदेश

आसान नहीं था पहलवानी, शिक्षक फिर राजनीति में उतरने का सफर

Shantanu Roy
10 Oct 2022 11:47 AM GMT
आसान नहीं था पहलवानी, शिक्षक फिर राजनीति में उतरने का सफर
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लखनऊ। भारतीय राजनीति में जमीनी नेताओं में शुमार मुलायम सिंह यादव आज हमारे बीच नहीं रहे हैं। पूरे यूपी में शोक की लहर है। कई दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जताया है। मुलायम सिंह यादव का उनके गृह राज्य उत्तर प्रदेश में उनकी खांटी राजनीति के कारण 'धरती पुत्र' की संज्ञा दी जाती है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं।
22 नवंबर, 1939 को इटावा के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह यादव के पिता एक पहलवान थे और मुलायम सिंह को भी पहलवान बनाना चाहते थे। हालांकि मुलायम सिंह पहलवानी के कारण ही राजनीति में आए। दरअसल मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक गुरु नत्थूसिंह मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता के दौरान मुलायम से काफी प्रभावित हुए और फिर यहीं से मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक करियर शुरु हो गया। मुलायम सिंह यादव साल 1967 में इटावा की जसवंतनगर विधानसभा से पहली बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।
मुलायम सिंह यादव यह चुनाव भारतीय राजनीति के दिग्गज राममनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर यह चुनाव जीते थे। इसी बीच 1968 में राममनोहर लोहिया का निधन हो गया। इसके बाद मुलायम उस वक्त के बड़े किसान नेता चरणसिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल में शामिल हो गए। 1974 में मुलायम सिंह बीकेडी के टिकट पर दोबारा विधायक बने।
इसी बीच इमरजेंसी के दौरान मुलायम सिंह यादव भी जेल गए। जसवंतनगर से तीसरी बार विधायक चुने जाने पर मुलायम सिंह यादव रामनरेश यादव की सरकार में सहकारिता मंत्री बने। चरणसिंह के निधन के बाद मुलायम सिंह यादव का राजनैतिक कद बढ़ना शुरु हुआ। हालांकि चरण सिंह की दावेदारी के लिए मुलायम सिंह यादव और चरण सिंह के बेटे और रालोद नेता अजीत सिंह में वर्चस्व की लड़ाई भी छिड़ी। 1990 में जनता दल में टूट हुई और 1992 में मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की नींव रखी।
राजनैतिक गठजोड़ के चलते मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। 1991 में हुए मध्यावधि चुनाव हुए और मुलायम सिंह यादव को हार का मुंह देखना पड़ा। 1993 में मुलायम सिंह यादव ने सत्ता कब्जाने के लिए बहुजन समाज पार्टी के साथ गठजोड़ कर लिया। यह गठजोड़ काम कर गया और वह फिर से सत्ता में आ गए। मुलायम सिंह यादव केन्द्र में रक्षा मंत्री भी बने। एक बार गठजोड़ के चलते मुलायम सिंह यादव देश के प्रधानमंत्री बनने के काफी करीब पहुंच गए थे, लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया।
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