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बड़ी खबर
लखनऊ। राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाये जा रहे विश्व मानसिक स्वास्थ्य माह के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय के परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा "इंटरनेट की लत को प्रबंधित करने के लिए व्यवहारिक तकनीकी" विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला 14 से 16 अक्टूबर तक आयोजित की गयी। लखनऊ विश्वविद्यालय के परामर्श और मार्गदर्शन प्रकोष्ठ का यह प्रयास सभी प्रतिभागियों के लिए अत्यंत सराहनीय व लाभदायक रहा। कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि प्रो.वेदागिरी गणेशन रहे जोकि राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण और परामर्श के क्षेत्र में लगभग चार दशकों से अधिक के अनुभव के साथ एक प्रसिद्ध व्यावसायिक, संगठनात्मक व पर्यावरणीय मनोवैज्ञानिक रहे है एवं वर्तमान में प्रो. गणेशन ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ बेहवियर टेक्नोलॉजी,कोयम्बटूर में निदेशक के पद पर कार्यरत है।
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रो.गणेशन ने अपनी भावनाओं के उचित संचालन व नियंत्रण के लिए श्वास के व्यायाम जैसी कई उपयोगी रणनीतियों का सुझाव दिया और जोर देकर कहा कि साँस लेना "सर्व रोग निवारिणी" है यानी सभी बीमारियों का इलाज है। इंटरनेट की लत के अलावा, प्रतिभागियों ने परीक्षा के डर से संबंधित अपनी समस्याओं, मानसिक आघात के बाद के मुद्दों, कार्यों को टालने की आदत एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में किए जा रहे इस व्यवहार के गम्भीर परिणामों और उनसे निपटने की तकनीकियाँ, अति आत्मविश्वास,हीन भावना से ग्रस्त बच्चों को संभालने और परिवार के बुजुर्ग सदस्यों के मनोवैज्ञानिक मुद्दौ के अलावा व्यसन और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित प्रश्न भी पूछे, जिनका विधिवत उत्तर प्रो. गणेशन और प्रो.प्रधान ने दिया और उनकी समस्या को दूर करने के लिए विभिन्न तकनीकों के उपयोग का सुझाव दिया। प्रो.गणेशन ने अपनी आत्म अवधारणा को विकसित करने और सुधारने के तरीके भी सुझाए।
उन्होंने कहा कि "हाई वर्क नहीं बल्कि स्मार्ट वर्क" की नीति पर सभी को अमल करना चाहिए। अंत में प्रो. प्रधान ने यह भी सुझाव दिया कि वर्तमान में परिवार की गतिशीलता को भी प्रबंधित करने की आवश्यकता है परिवार के प्रत्येक सदस्य को अपने समय का बेहतर प्रबंधन करने और आपसी सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है ताकि सभी काम और परिवार का संतुलन बनाकर रहे और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सके। सत्र का संचालन लखनऊ विश्वविद्यालय के परामर्श एवं मार्गदर्शन प्रकोष्ठ की निदेशक प्रो.मधुरिमा प्रधान एवं कार्यक्रम की समन्वयक डॉ.अर्पणा गोडबोले ने किया। तीन दिवसीय कार्यशाला में लगभग 50 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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