उत्तर प्रदेश

जीती वीआरएस की जंग, पोस्टिंग में हार यह था मामला

Harrison
11 Oct 2023 10:11 AM GMT
जीती वीआरएस की जंग, पोस्टिंग में हार यह था मामला
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उत्तरप्रदेश | केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) में रेलवे के खिलाफ वीआरएस मामले में इस साल जुलाई में जीत हासिल करने वाले आगरा मंडल के मुख्य मंडल ट्रेन नियंत्रक दिनेश कपिल का तबादला कर्मचारी संघों के विरोध के बावजूद मथुरा कर दिया गया. यूनियन ने इस कदम को सजा बताया, क्योंकि मथुरा में कोई ट्रेन नियंत्रण कार्यालय नहीं है. उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) जोन ने तबादले को सही ठहराया है. आगरा मंडल इसी जोन के अंतर्गत आता है. एनसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु उपाध्याय ने कहा, रेलवे में विभिन्न विभागों में तैनाती जरूरत पर निर्भर करती है. अधिकरण के फैसले का सम्मान किया गया है और निर्धारित समय सीमा के भीतर पदस्थापना की है. स्वीकार किया कि कपिल एक उत्कृष्ट नियंत्रक हैं, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि मथुरा स्टेशन को ट्रेन नियंत्रक की क्या आवश्यकता है.
नये पद का नाम मुख्य नियंत्रक है और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि लोको पायलट के काम के घंटे 10 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए. वहीं ट्रेन नियंत्रण विभाग में तैनात अधिकारियों ने बताया कि लोको पायलट के काम के घंटों की निगरानी हमेशा रेलवे जोन के मंडल नियंत्रण कार्यालय द्वारा की जाती है. ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, मथुरा में कोई नियंत्रण कार्यालय नहीं है. यह एक सजा वाली तैनाती है और रेलवे में अत्यधिक कुशल जनशक्ति की बर्बादी है. इससे मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है. वरिष्ठ से झगड़े के बाद समय पूर्व सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना आवेदन वापस लेने का फैसला किया. रेलवे द्वारा आवेदन वापस लेने के उनके अनुरोध पर विचार करने से इनकार करने पर उन्होंने अपनी बहाली के लिए कैट का रुख किया. आरोप लगाया कि तीन नवंबर, 2022 को वरिष्ठ मंडल ऑपरेशन प्रबंधक (डीओएम) कुलदीप मीणा से हुई बहस ने उन्हें वीआरएस के विकल्प का चयन करने के लिए उकसाया था. कैट के समक्ष कपिल का रुख था कि उकसाये जाने के बाद उन्होंने एक कागज पर वीआरएस के लिये आदेवन दिया, लेकिन अपनी गलती महसूस करने के पांच दिन बाद उन्होंने इसे वापस लेने का फैसला किया.
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