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लखनऊ: एक पीड़ित के पास बिजली विभाग से नोटिस पहुंचा कि तथ्यों को छिपाकर कनेक्शन लिया है. एक सप्ताह में 54.78 हजार जमा करने का निर्देश दिया. जमा न करने पर कनेक्शन काट दिया. पीड़ित ने पहले जिला उपभोक्ता फोरम में गुहार लगाई जहां कनेक्शन बहाल कर नोटिस रद्द करने का निर्देश हुआ. पीड़ित के खिलाफ बिजली विभाग राज्य उपभोक्ता आयोग पहुंचा. बिना अधिवक्ता के पीड़ित ने लड़ाई जीत ली.
आयोग ने कहा कि बिजली विभाग को नुकसान हुआ है, लेकिन भरपाई वह अपने दोषी कर्मचारियों से करे. राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार ने आदेश में कहा कि जिला उपभोक्ता आयोग ने सम्पूर्ण साक्ष्यों के आधार पर निर्णय सुनाया है. इसमें किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. साथ ही कहा कि बहस के दौरान यूपीपीसीएल की ओर से 35 लाख की क्षति बताई गई है. यह बिना इंजीनियर या कर्मचारी की मिलीभगत से सम्भव नहीं था. आयोग ने माना कि बिल्डर विजय वर्मा ने जेई हरि सिंह और देवकीनन्दन से साठगांठ कर मात्र पांच किलोवाट के कनेक्शन लेकर 35 मकानों को बिजली दी. आयोग ने पावर कारपोरेशन प्रबंध निदेशक को निर्णय की प्रति भेजने का आदेश सुनाया है. इसके पूर्व जिला उपभोक्ता आयोग ने 10 सितम्बर 21 से पूर्व शहरी क्षेत्र की दर से लगाई बकाया धनराशि की मांग, नोटिसों को निरस्त कर दिया था. साथ ही कहा था कि पीड़ित इस तारीख के बाद शहरी क्षेत्र की दर पर बिल जमा करेगा.
अवैध बिल्डर के खेल में फंसा उपभोक्ता: हाथरस के आगरा रोड स्थित ग्राम बिजहारी, सासना में बिल्डर को कॉलोनी में तार, खंभे, ट्रांसफार्मर लगाने के बाद विभाग से मंजूरी लेनी थी. कर्मियों से मिलीभगत से नाम ट्रांसफार्मर लगवाया. द्रौपदी ने आयोग में वाद दायर कर बताया कि 7 अप्रैल 11 को प्लॉट खरीद घर बनाया और संयोजन लिया था. लाइनमैन-जेई ने सत्यापन कर कनेक्शन दिया. समय पर बिल जमा हुआ. पर 19 जुलाई को नोटिस देकर कनेक्शन काट दिया गया.