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बड़ी खबर
लखनऊ। बचपन से दिव्यांग शिवकुमार अब बेचारा या लाचार नही है। और न ही अब उसे किसी के सहारे की जरूरत है। सरकार द्वारा दी गयी ट्राईसाइकिल और दिब्यांग पेंशन के बल पर अब शिवकुमार आस पास के मेलों और हाट बाजारों मे खिलौने बेचकर अब न केवल खुद के पैरों पर खडा हो रहा है बल्कि अपने इस कारोबार मे कुछ अन्य युवकों को भी रोजगार मुहैया करा रहा है। दिव्यांग शिवकुमार के इस कार्य की गांव के लोग खूब सराहना कर रहे हैं। मलिहाबाद की रुसेना ग्राम पंचायत के मजरे मढ़िया गांव निवासी शिवकुमार (19 वर्ष) पुत्र रमेश बचपन से दिब्यांग है। करीब सालभर पहले उसे सरकार द्वारा ब्लाक की तरफ से ट्राईसाइकिल प्रदान की गयी। उसी दौरान शिवकुमार की रुकी हुयी दिब्यांग पेंशन भी मिल गयी। बस फिर क्या था शिवकुमार के सपनों को जैसे उडान ही मिल गयी हो। कमर के निचले हिस्से से दिब्यांग शिवकुमार को चलने फिरने मे भी किसी सहारे की जरूरत रहती थी। लेकिन आज वह परिवार का सहारा बन चुका है।
बकौल शिवकुमार सरकार द्वारा मिलने वाली पेंशन वा ट्राई साइकिल के माध्यम से आज वह खिलौनों का एक छोटा सा कारोबारी बन चुका है। अपनी छोटी सी ट्राईसाइकिल के सहारे वह खिलौने ले जाकर पडोस की हाट बाजार और मेलो मे ले जाकर उन्हें बेचकर आज शिवकुमार न केवल अपना जीवन यापन कर रहा है बल्कि अब वह अपने परिवार का भी सहारा बनने लगा है। शिवकुमार ने पेंशन के रुपयों से खिलौने खरीदे हैं। शिवकुमार अपनी ट्राईसाइकिल से खिलौने लेकर आस पास की लगने वाली बाजारों तथा मेलों में जाकर उन्हें बेचता है। क्षेत्र वा आसपास के लोगों ने शिवकुमार के इस जज्बे की सराहना की है। शिवकुमार ने बताया कि परिवार मे वह छह भाइयों व दो बहनों में सबसे छोटा है। और भूमिहीन है। परिवार के सभी सदस्य मजदूरी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। दिब्यांगता और गरीबी से वह मजबूर था लेकिन सरकार द्वारा मिलने वाली पेंशन और ट्राईसाइकिल ने उसे आगे बढ़ने की हिम्मत दी है। जिसके सहारे उसने यह काम शुरू किया है। शिवकुमार ने बताया उसने अन्य बेरोजगार युवकों को भी अपने साथ दो युवकों को जोड़कर उन्हें रोजगार देना शुर कर दिया है।
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