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दोषी का नाम न बताया तो आरबीआई को लिखेंगे पत्र: झाँसी पुलिस
झाँसी: आईसीआईसीआई बैंक के दो शाखाओं से हुए 4.45 करोड़ के लोन जालसाजी में बैंक ने पूरे मामले में उलझा कर रखा है. जांच में जुटी पुलिस ने आईसीआईसीआई बैंक के यूपी-बिहार हेड को बुलाकर इस मामले में सहयोग करने की मांग की है. पुलिस ने बैंक से उन कर्मियों का नाम मांगा है जिनकी वजह से यह फर्जीवाड़ा सामने आया है. हालांकि बैंक इस मामले में अपने स्तर से कुछ करने के मूड में नहीं है. पुलिस अफसरों ने यह साफ कर दिया है कि अगर बैंक की तरफ से नाम नहीं आएगा तो फिर इस मामले में आरबीआई को पत्र लिखा जाएगा.
दरअसल, गोरखपुर में पिछले दिनों एक ऐसी जालसाजी पकड़ में आई जिससे न सिर्फ पुलिस बल्कि विभिन्न बैंकों को हैरान-परेशान कर दिया. जालसाजी 4.45 करोड़ के लोन की थी. दो अलग-अलग लोगों ने लोन लिया. इस लोन जालसाजी मास्टर माइंड रुद्रांश को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन रुद्रांश से जिस तरह से लोन के लिए जरूरी पेपर को कूटरचित तरीके से तैयार कर बैंक से लोन ले लिया और फिर अपने ट्रक ड्राइवर को दिला दिया उससे लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई. उसने सब कुछ फर्जी तरीके से कागजों में बनाकर लोन ले लिया और जब किस्त जमा करना बंद किया तो बैंक ने जांच शुरू की फिर उसका फर्जीवाड़ा सामने आया.
पुलिस ने रुद्रांश को जेल भेज दिया. उसके मां-बाप की तलाश कर रही है लेकिन इस पूरे जालसाजी में बैंक कर्मियों की भूमिका पर भी पुलिस को संदेह है. यही वजह है कि जांच टीम बैंक अफसरों से उन कर्मियों की लिस्ट मांग रही है जिनकी सत्यापन से लेकर लोन देने तक की जिम्मेदारी होती है. हालांकि बैंक उनकी लिस्ट नहीं दे रहा है. बैंक चाहता है कि पुलिस सिर्फ रुद्रांश और उससे जुड़े लोगों पर जांच पूरी कर मामला क्लोज कर ले लेकिन पुलिस इसके जड़ में जाना चाहती है.
यही वजह है कि एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने बैंक के यूपी-बिहार के हेड को बुलाकर उनसे इस लोन फर्जीवाड़ा के लिए जिम्मेदार कर्मियों की लिस्ट मांगी है. बैंक लिस्ट नहीं देता है तो इस मामले में आरबीआई को पत्र लिखने की पुलिस ने तैयारी कर ली है.