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क्या मतलूब और मुनकाद के बीच सिमट जाएगा किठौर का चुनावी रण, जानिए
किठौर न्यूज़: आरक्षण स्पष्ट होते ही किठौर में निकाय चुनाव की सरगर्मियां तेज हो चली हैं। यहां निकाय चुनाव के इतिहास पर गौर करें तो शुरू में एक दशक से अधिक पुराने दो दिग्गजों के बीच रहा मुकाबला कालांतर में त्रिकोणीय होता चला गया। लेकिन सपा रालोद गठबंधन के चलते किठौर में इस बार फिर पुरानी रिवायत दोहराए जाने के आसार लग रहे हैं। वजह वर्तमान चेयरपर्सनपति सलमान मुनकाद बसपा से मैदान में उतरने की जुगत में हैं तो गठबंधन के सीट बंटवारे से पूर्व रालोद जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ खुद ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि शाहिद मंजूर खेमा अभी सीट बंटवारे पर निगाह टिकाए बैठा है। किठौर में स्थानीय निकाय चुनाव पर बात करें तो 1988 में नगर पंचायत घोषित होने के बाद यहां पहला चुनाव पूर्व मंत्री अब्दुल हलीम के भाई अब्दुल अलीम उर्फ लाला मियां और पूर्व विधायक मंजूर अहमद के भाई मुहम्मद इलियास के बीच हुआ। चौधरी रियासत भी चुनाव लड़े।
इसमें मुहम्मद इलियास विजयी हुए। 22 अप्रैल 1993 को तत्कालीन चेयरमैन मुहम्मद इलियास की हत्या के बाद 1995 में उनके पुत्र शम्स परवेज मैदान में उतरे और उन्होंने पुन: लाला मियां को हराया। इस चुनाव में मतलूब गौड़ ने भी ताल ठोंकी और उन्हें करीब चार सौ वोट मिले। सन् 2000 में हुए तीसरे चुनाव में शम्स परवेज सपा, तैयब अली बसपा और मतलूब गौड़ निर्दलीय चुनाव लड़े। इसमें शम्स परवेज ने पुन: जीत दर्ज की। मतलूब मुख्य मुकाबले में रहे। 2006 में शम्स परेवज सपा, माजिद अली बसपा और मतलूब गौड निर्दलीय चुनाव लड़े। इसमें मतलूब गौड़ विजयी हुए। 2012 के चुनाव में शम्स परवेज सपा मतलूब गौड़ बसपा समर्थित और हाजी रईस निर्दलीय मैदान में उतरे। इसमें मतलूब पुन: विजयी हो गए। 2017 में किठौर में सीट सामान्य महिला आरक्षित हुई तो शम्स परवेज की पत्नी रखशिंदा बेगम सपा बसपा नेता मुनकाद अली की पुत्रवधू नाविद सलमान बसपा और मतलूब गौड़ की पत्नी रिहाना खातून निर्दलीय चुनाव लड़ीं इसमें नाविद सलमान विजयी हुईं।
बहरहाल सीट अनारक्षित होने के साथ इस बार स्थिति एकदम अलग है। बसपा से यहां सलमान मुनकाद मैदान में हैं। लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद सुप्रीमों जयंत चौधरी के पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने के निदेर्शों के बाद गठबंधन यहां उहापोह की स्थिति में है। हालांकि रालोद जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़ किठौर रालोद के पास रहने का दावा करते हुए चुनावी तैयारी में जुटे हैं। ऐसे में यदि किठौर रालोद के पास रहा तो पुरानी रिवायत को दोहराते हुए यहां फिर दो नए दिग्गजों मुनकाद और मतलूब के बीच कड़ा मुकाबला होगा। वहीं सीट सपा पर जाने के बाद चुनाव में शाहिद मंजूर परिवार की दखल से भी इंकार नही किया जा सकता। बता दें कि किठौर चेयरमैन पद अभी तक सबसे अधिक शाहिद मंजूर अहमद परिवार के पास रहा है। मतलूब गौड़ यहां दूसरे नंबर पर हैं।
सीट बंटवारे में पार्टी स्तर पर प्रत्याशी का पिछला चुनावी प्रदर्शन देखा जाता है। उस लिहाज से किठौर रालोद के खाते में आना चाहिए।
वैसे पार्टी सुप्रीमों के दिशा निर्देशों के अनुसार चुनाव लड़ा जाएगा।
-मतलूब गौड़ रालोद जिलाध्यक्ष/पूर्व चेयरमैन किठौर
सपा रालोद गठबंधन में अभी सीट बंटवारें पर की स्थिति स्पष्ट नही हुई है।
बंटवारें के बाद निर्णय लिया जाएगा। -शाहिद मंजूर सपा विधायक किठौर