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उत्तरप्रदेश | डीआरडीओ की सहयोगी इकाई एडीआरडीई ने टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम विकसित किया है. इसका सफल परीक्षण किया गया. इसकी मदद से युद्ध के मैदान या दुर्गम स्थानों पर 20 टन तक वजन के साजो-सामान (सैन्य सामान या गोला बारूद) को पैराशूट के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. सौ फीसदी स्वदेशी संसाधनों से निर्मित होने के कारण भारतीय सशस्त्रत्त् बलों ने सिस्टम को मेक इन इंडिया के तहत बड़ी सफलता घोषित किया है.
टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के सानिध्य में आगरा स्थित एडीआरडीई(एरियल डिलिवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट) ने डिजाइन किया है. इस तकनीक का परीक्षण संयुक्त रूप से एडीआरडीइ, भारतीय सशस्त्रत्त् बल उपयोगकर्ता और एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिवीजन) की मदद से पूरा किया गया.
टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम का उपयोग सी-17, सी-130 एवं अन्य सी सीरीज विमानों के लिए किया जा सकेगा. टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम में एक प्लेटफार्म और विशेष मल्टीस्टेज पैराशूट सिस्टम है. इसमें आठ मुख्य कैनोपी, तीन एक्सट्रैक्टर पैराशूट, एक डरोगे पैराशूट, इलेक्ट्रिकल, एल्क्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल सिस्टम एवं लैचिंग एक्सेसरीज शामिल हैं. सिस्टम का प्लेटफार्म एक विशेष अल्युमिनियम धातु से बना है.
सेना में शामिल करने की तैयारी पूरी
टाइप-5 हैवी ड्रॉप सिस्टम को सेना में शामिल करने के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है. सशस्त्रत्त् बलों की जरूरतों के लिए ऐसी प्रणालियों के विकास के लिए एयरबोर्निक्स डिफेंस एंड स्पेस प्राइवेट लिमिटेड (जेसीबीएल की डिफेंस डिविजन) वर्ष 2018 से डीआरडीओ की आगरा स्थित प्रयोगशाला एडीआरडीई के साथ रिसर्च एंड डेवलपमेंट की गतिविधिओं में शामिल है.
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Harrison
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