उत्तर प्रदेश

फतेहपुर में बनाया पत्नी का मंदिर, मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं रामसेवक

Harrison
7 Aug 2023 1:56 PM GMT
फतेहपुर में बनाया पत्नी का मंदिर, मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं रामसेवक
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उत्तरप्रदेश | कोई अपनी पत्नी की यादों को कैसे सहेज सकता है? कोई उनके नाम पर स्कूल कॉलेज खोलता है तो कोई स्मृति में टूर्नामेंट कराता है. कोई भंडारे व अन्य धमार्थ कार्य करने लगता है. लेकिन बाकायदा पत्नी की प्रतिमा बनवा कर मंदिर में स्थापित कराना और पूजा करना... ऐसे बहुत कम उदाहरण मिलेंगे. ऐसे एक पत्नीभक्त फतेहपुर के देवमई ब्लॉक के गांव पधारा रहते हैं.
नाम रामसेवक रैदास. कभी सीजनल अमीन थे. मई 2020 में पत्नी मायादेवी की मृत्यु हो गई. पत्नी प्रेम में इस कदर डूबे कि उनकी प्रतिमा बनवाई और मंदिर बना कर स्थापित कर दी. बिंदकी तहसील में सीजनल अमीन पद पर रहे रामसेवक और मायादेवी का दांपत्य 53 साल तक चला. मई 2020 में कुछ दिन की बीमारी के बाद माया की सांसों ने साथ छोड़ दिया. कुछ दिन तक रामसेवक जल बिन मछली की तरह तड़पते रहे. फिर एक दिन माया की यादों को प्रतिमा के रूप में सहेजने का ख्याल आया. गांव में उनकी 18 बिस्वा जमीन है.
इसके एक छोर पर तीन बिस्वा जमीन घेर कर भवन बनवाया. उसमें पत्नी माया की प्रतिमा लगाने का उपक्रम शुरू किया. प्रतिमा बनवाने को माया की कई फोटो लेकर मकराना गए. अंतत नौ नवम्बर 2020 को संगमरमर की मूर्ति बन कर आ गई.
विधि विधान के साथ उसे मंदिर में स्थापित किया. प्रतिमा की शोभा यात्रा गांव से मंदिर तक पालकी और गाजे बाजे के साथ निकाली. लोगो ने तंज कसे. विरोध किया पर रामसेवक अप्रभावित रहे. वह बताते हैं- जब मैंने मंदिर बनाना शुरू किया तो गांव व आसपास क्षेत्र के लोग मजाक उड़ाते थे. आलोचना का सामना करना पड़ा. किसी ने पत्नी का गुलाम कहा तो किसी ने ढोंग. मैंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया. मेरी पत्नी और उसकी यादें ही मेरे लिए सब कुछ हैं. रामसेवक और माया के पांच बच्चे हुए. तीन पुत्रों में रंजीत कुमार एसएसबी में हैं. अन्य संतानों में सूरज, रंजीत एवं दो पुत्री प्रियंका व शालिनी हैं. प्रियंका की शादी हो चुकी है.
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