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लखनऊ न्यूज़: सीट आरक्षित होने के कारण कई पूर्व पार्षद खुद चुनाव नहीं लड़ पाए तो परिजनों को उतार दिया. इनमें से किसी ने भाई को जिता दिया तो किसी ने पत्नी को पार्षद बनवा दिया है. किसी की मां मैदान मारने में सफल रहीं तो किसी की गृहिणी बहू अब सदन में बैठेंगी.
भवानगंज वार्ड के पूर्व पार्षद संतोष राय की सीट महिला हो गयी तो उन्होंने पत्नी रीता राय को लड़ाया. वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत गयीं. कुंवर ज्योति प्रसाद वार्ड के पूर्व पार्षद शिवपाल सांवरिया ने भी महिला सीट होने पर पत्नी गौरी सांवरिया को भाजपा के टिकट पर लड़ाया और जीत भी मिली. पूर्व पार्षद पंकज पटेल ने भाभी को चुनाव लड़ाया. वह भी जीत गयीं. उनकी पत्नी शिक्षिका हैं, इसलिए चुनाव नहीं लड़ सकती थीं. ऐशबाग वार्ड के पूर्व पार्षद साकेत शर्मा ने बड़े भाई संदीप शर्मा को चुनाव लड़ाकर जिताया. पूर्व पार्षद राम कृष्ण यादव ने महिला सीट होने पर भाजपा के टिकट पर अपनी मां मालती यादव को मैदान में उतार और जीत हासिल की. बाबू कुंज बिहारी वार्ड के पूर्व पार्षद सुधीर मिश्रा ने पत्नी को जिताया. रामजी लाल पटेल नगर के पूर्व पार्षद गिरीश मिश्रा पत्नी संध्या को भाजपा के टिकट पर चुनाव जिताने में सफल रहे. आलमनगर वार्ड के पूर्व पार्षद नागेन्द्र सिंह की पत्नी लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में सफल रहीं. विद्यावती प्रथम से पूर्व पार्षद विमल तिवारी अपनी पत्नी प्रतिमा तिवारी को चुनाव जिताने में सफल रहे.
ये संभालेंगे सदन पर पत्नियां संभालेंगी घर
कुछ पूर्व पार्षदों ने इस बार खुद चुनाव लड़ा और पत्नी को फिर से घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी सौंप दी. इस्माइलगंज प्रथम वार्ड से निवर्तमान पार्षद अमिता सिंह चौहान की सीट सामान्य थी. इसके बावजूद उनके पति मुकेश सिंह चौहान ने खुद चुनाव लड़ा और अच्छे अंतर से जीत दर्ज की. इसी तरह हिन्द नगर वार्ड से सौरभ सिंह मोनू भी इस बार खुद चुनाव में उतरे, जबकि उनकी पत्नी नेहा सिंह निवर्तमान पार्षद हैं.
पर इनकी पत्नियां हार गयीं चुनाव
कुछ पार्षद ऐसे भी रहे, जो अपनी पत्नी को चुनाव नहीं जिता पाए. गीतापल्ली वार्ड के निवर्तमान पार्षद अरविन्द यादव ने सपा के टिकट पर इसी वार्ड से अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाया लेकिन वह हार गयीं. इसी तरह इस्माइलगंज वार्ड के पूर्व पार्षद रुद्र प्रताप सिंह ने अपनी पत्नी को निर्दलीय चुनाव लड़ाया था पर वह भी नहीं जीत पायीं.