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बस्ती न्यूज़: कोविड के पॉजिटिव केस के सभी नमूनों की होल जीनोम सीक्वैंसिंग कराई जाएगी. सभी पॉजिटिव नमूनों को बीएसएल-टू लैब में संरक्षित किया जाएगा. जीनोम सीक्वैंसिंग के लिए इसे केजीएमयू लखनऊ भेजा जाएगा.
स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि लगभग चार महीने के अंतराल के बाद कोविड-19 के केस तेजी से बढ़े हैं. प्रदेश के कुछ जिले सर्वाधिक प्रभावित हैं. पड़ोस के जिले सिद्धार्थनगर में भी एक केस मिल चुका है. कोविड के बढ़ते केस को देखते हुए महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर
प्रदेश ने सभी जिलों के लिए गाइड लाइन जारी की है. इसी के तहत जिलों में इलाज व जांच से सम्बंधित तैयारी की जानी हैं.
जांच के लिए मेडिकल कॉलेज में बीएसएल-टू प्रयोगशाला संचालित है. इसी प्रयोगशाला में कोविड-19 के आरटीपीसीआर नमूनों की जांच होती है. गाइड लाइन में कहा गया है कि अगर किसी नमूने की रिपोर्ट पॉजिटिव मिलती है तो उस नमूने को लैब में संरक्षित किया जाएगा. नमूने को केजीएमयू लखनऊ के माइक्रोबॉयलोजी विभाग जांच के लिए भेजा जाएगा.
माइक्रोबॉयलोजी विभाग की जांच में ही कोविड के नए वैरियंट ओमीक्रान का पता चला था. कोविड की तीसरी लहर में पॉजिटिव मिले कोविड के नमूनों को जांच के लिए केजीएमयू भेजा गया था, उनमें कई में ओमीक्रान की पुष्टि हुई थी.
कोविड के वैरियंट की होगी जानकारी
मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. स्वराज शर्मा का कहना है कि जीनोम सीक्वैंसिंग जांच से कोविड वॉयरस को कंफर्म करने के साथ वैरियंट का पता लगाया जा सकता है. वॉयरस का लगातार म्यूटेशन होता रहता है. वह अपना आरएनए
बदलता रहता है. जांच से यह
मालूम हो जाएगा कि पहले के वॉयसर से मौजूदा वॉयरस में कितना बदलाव हुआ है. इसी के साथ यह भी पता चलता है कि पूर्व से सक्रिय वॉयरस कमजोर पड़ा है, या मजबूत हुआ है. किसी भी वॉयरस की रोकथाम में यह जानकारी बहुत कारगर साबित होती है.