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मौत का जिम्मेदार कौन
उत्तरप्रदेश :हाल ही में आत्महत्या की जितनी घटनाएं हुईं, उसमें मौत को गले लगाने वालों में सबसे ज्यादा नाबालिग छात्र-छात्राएं थे. कभी कॉलेज तो कभी घर के विवाद में उलझे नाबालिगों ने बिना सोचे समझे आत्मघाती कदम उठा लिया. सवाल यह है कि कॉलेज से लेकर अभिभावक तक, आखिर कौन इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं. छात्र-छात्राओं की मौत के बाद उनके परिजनों ने कॉलेज प्रबंधन को ही जिम्मेदार ठहराया और कार्रवाई की मांग की.
पुलिस ने जांच की, लेकिन न तो प्रिंसिपल और न ही शिक्षिका को उनकी मौत का कारण पता. पुलिस की जांच में कोई दोषी नहीं मिला. लेकिन सवाल उठना स्वभाविक है कि किसकी गलती से इनकी जान गई. इन मामलों में मनोवैज्ञानिकों की सलाह है कि अभिभावक अपने बच्चों की भावनाओं को समझने की कोशिश करें. मनोवैज्ञानिक राज कुमार राय ने बताया कि अभिभावकों को बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए. उनकी आवश्यकताओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. बच्चों को घर के छोटे-छोटे कार्यों में व्यस्त रखें. कला एवं कविता के प्रति प्रेरित करें ताकि वे भटके नहीं.
बच्चों को सामाजिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों व खेल के प्रति बढ़ चढ़कर भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. इससे उनमें टीम भावना विकसित होती है. उनपर पढ़ाई थोपने की जगह उनकी रुचियों, क्षमताओं एवं योग्यता के अनुसार विषय का चयन करना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण ये है कि अभिभावकों को अपनी अपेक्षाओं एवं उम्मीदों का बोझ बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए. उनके व्यवहार संबंधी परिवर्तनों को नजरअंदाज करने की जगह समझने की कोशिश करनी चाहिए
एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाली 11वीं की छात्रा पलक जायसवाल को व्हाट्सएप स्टेटस लगाने पर शिक्षिका ने डांट लगाई. उसने फांसी लगाकर जान दे दी.
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