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- गोरखपुर चिड़ियाघर में...
यूपी सरकार की 100 दिन की कार्ययोजना में तहत गोरखपुर चिड़ियाघर (शहीद अशफाक उल्लाखां प्राणी उद्यान) को सफेद टाइगर की सौगात मिल चुकी है। गीता नाम की सफेद बाघिन यहां लाकर क्वारन्टीन की गई है। इसे विश्व बाघ दिवस से दर्शक इसका दीदार कर सकेंगे। गोरखपुर चिड़ियाघर की मंशा विश्व बाघ दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में सफेद बाघिन को उसके बाड़े में प्रवेश कराने की है।
इस अवसर को यादगार बनाने के लिए चिड़ियाघर प्रशासन, गोरखपुर वन प्रभाग के साथ मिलकर विश्व बाघ दिवस पर 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन करने जा रहा है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हो सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में राज्य मंत्री वन पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन डॉ अरुण कुमार सक्सेना एवं फिल्म मशहूर अभिनेता रणदीप हुड्डा भी शामिल होंगे।
योगिराज बाबा गंभीरनाथ प्रेक्षागृह एवं संस्कृति केंद्र में आयोजित होने वाले इस सेमिनार के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) के निदेशक डॉ एच. राजामोहन ने बताया कि शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान एवं गोरखपुर वन प्रभाग द्वारा पहली बार वृह्द स्तर पर विश्व बाघ दिवस मनाया जा रहा है। 29 जुलाई को प्राणी उद्यान में क्वारंटीन सफेद बाघिन गीता को पयर्टकों के समक्ष बाघ के बाड़ा में प्रदर्शित किया जाएगा। इसी दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाघ पर सेमिनार की आयोजित होगा। सेमिनार में देश के विभिन्न प्रांतों एवं नेपाल समेत अन्य देशों से भी वाइल्डलाइफ विशेषज्ञ आएंगे।
प्रभागीय वन अधिकारी विकास यादव ने बताया कि इन कार्यक्रमों में पर्यावरण एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सक्रिय संस्था हेरिटेज फाउंडेशन एवं हेरिटेज एवियंस, रोटरी क्लब मिडटाऊन, गोरखपुर बर्ड सोसाइटी एवं वी फॉर एनिमल भी सहयोग कर रही हैं। 29 जुलाई की सुबह प्राणी उद्यान से गोरखपुर प्राणी उद्यान से प्रेक्षागृह तक बाघ बचाओं के संदेश के साथ खुला मैराथन भी आयोजित होगा।
प्राणी उद्यान में एक जिला एक उत्पाद योजना, नेशनल बम्बू मिशन समेत स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल भी लगाए जाएंगे। हेरिटेज फाउंडेशन गोरखपुर की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल कहती है कि गोरखपुर के इतिहास में पहली बार योगीराज में है कि वन्यजीव संरक्षण को लेकर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार गोरखपुर में आयोजित होने जा रही है। इससे न केवल वन्यजीव संरक्षण के प्रति पूर्वांचल में अलख जगेगी बल्कि इको टूरिज्म के विकास की नई संभावनों के द्वार खुलेंगे।