उत्तर प्रदेश

जहां हुई थी साफ-सफाई वहां से फिर पाट दी गई बूढ़ी गंगा

Admin Delhi 1
22 Feb 2023 12:31 PM GMT
जहां हुई थी साफ-सफाई वहां से फिर पाट दी गई बूढ़ी गंगा
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मेरठ: ‘गंगा की बात क्या करूं गंगा उदास है, वह जूझ रही खुद से और बदहवास है, न अब वो रंग रूप है न वो मिठास है’। जिस गंगा मय्या की आरती से लोगों के दिन की शुरुआत होती थी। जिस गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ था। जो गंगा भगवान शिव की जटाओं में निवास करती है और जिसके पूजन दर्शन भर से पापों का नाश होता है वही गंगा आज खुद पर आंसू बहा रही है।

महाभारतकालीन इस महान नदी के साथ महाभारतकालीन हस्तिनापुर में ही नाइंसाफी हो रही है। इसके साथ खेल खेला जा रहा है। किसी जमाने में इस गंगा पर यौवन था, लेकिन बाद में भूमाफियाओं की इस पर ऐसी नजर लगी कि यह बूढ़ी होती चली गई। इस बूढ़ी गंगा की किसी ने लम्बे समय तक सुध नहीं ली, जिसके चलते इसका बहाव इतिहास के पन्नों में दर्ज होने की तरफ बढ़ने लगा।

हालांकि नेचुरल साइंसेज ट्रस्ट के साथ साथ प्रशासन ने भी इस बूढ़ी गंगा की सुध ली, जिसके बाद यह नदी कुछ समय तक अविरल, निर्मल धारा में बही। उम्मीद थी कि इस नदी का खोया मान-सम्मान पुन: लौटेगा, लेकिन हुआ उसका उल्टा। जिस नदी को निर्मल धारा की तरफ मोड़ा गया था मानो उसे अब बीच मझदार में छोड़ दिया गया है। सब जानते हैं कि इसी गंगा के तट पर कई पवित्र तीर्थों का वास है। ‘मां’ का दर्जा पाकर भी यह नदी अभागी ही है।

कुछ समय पूर्व इस बूढ़ी को लोगों का साथ मिला, लेकिन स्थान पर इस गंगा की साफ-सफाई हुई थी उसे फिर से पाटने का कुकृत्य किया जा रहा है। सबकी आंखों के सामने एक बार फिर इस गंगा मैय्या का अपमान हो रहा है। हालांकि इस नदी व हस्तिनापुर के उद्धार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर प्रियंक भारती ने चेतावनी दी है कि यदि बूढ़ी गंगा के साथ इस प्रकार का भद्दा मजाक होता रहा तो वह आन्दोलन करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।

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