उत्तर प्रदेश

आधा घंटे तक नहीं आई एंबुलेंस तो वृद्ध को ठेले में लेकर पहुंचे अस्पताल, इलाज मिलने में देरी होने पर वृद्ध ने दम तोड़

Kajal Dubey
14 Aug 2022 11:08 AM GMT
आधा घंटे तक नहीं आई एंबुलेंस तो वृद्ध को ठेले में लेकर पहुंचे अस्पताल, इलाज मिलने में देरी होने पर वृद्ध ने दम तोड़
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प्रदेश सरकार एंबुलेंस के जरिए जल्द अस्पताल पहुंचाकर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन जिले में मरीजों को एंबुलेंस से उपचार नहीं मिल पा रहा है। हालात यह हैं कि एंबुलेंस फोन करने के बाद भी समय पर मरीजों को लेने नहीं पहुंच रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और मनमानी के चलते एंबुलेंस के समय पर न पहुंचने पर परिजन वृद्ध को हाथ ठेला पर लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। इलाज मिलने में देरी होने पर वृद्ध ने दम तोड़ दिया। एंबुलेंस तब पहुंची जब परिजन वृद्ध के मृत घोषित होने के बाद वापस उसे घर ले आए। परिजनों ने स्वास्थ्य विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
मोहल्ला घुसयाना निवासी हरीराम (86) के वृद्घ होने के चलते बीते करीब बीस दिन पहले उनका एक पैर में चोट आ गई थी, जिसके चलते परिजनों ने उसका उपचार मध्य प्रदेश के जिला सागर में कराया और पंद्रह दिन पहले ही सागर की अस्पताल ऑपरेशन करके पैर में रॉड डाली गई थी, जिसके चलते वह हाल में इलाज होने के चलने फिरने में लाचार थे।
बीते दो दिन पहले बृहस्पतिवार की रात करीब नौ बजे उसकी अचानक तबियत बिगड़ गई। जिस पर परिजनों ने उनके चलने फिरने में लाचार होने के चलते जिला अस्पताल ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस को फोन लगाया। जिस पर दूसरी ओर से बीमार के पते की जानकारी ली गई और कुछ ही देर में उनके घर पहुंचने की बात कही। परिजनों ने दस मिनट एंबुलेंस का इंतजार किया, लेेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची, तो फिर फोन लगाया। जिस जल्द एंबुलेंस भेजने के बारे में कहा गया।
करीब 20 मिनट बाद फिर से एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिजनों और मोहल्ले वालों ने बीमार वृद्ध को एक मजदूर के हाथ ठेले पर अस्पताल ले जाने का फैसला किया। इस दौरान बारिश भी होने लगी। हरीराम की हालत ज्यादा बिगड़ने के चलते परिजन बारिश मेें उसे हाथ ठेले में रखकर पांच सौ मीटर दूर जिला अस्पताल में गए। जहां चिकित्सकों ने परीक्षण उपरांत हरीराम को मृत घोषित कर दिया। जिस पर परिजनों में कोहराम मच गया और परिजनों ने 108 एंबुलेंस के समय से नहीं पहुंचने के आरोप लगाए हैं।
मृतक के नाती अंकित ग्वाला ने बताया कि उसके दादा हरीराम के एक पैर में चोट आने पर मध्य प्रदेश के सागर की अस्पताल में पंद्रह दिन पहले रॉड डाली गई थी। जिसके चलते वह चल फिर नहीं सकते थे। 11 अगस्त की रात में करीब नौ बजे दादा हरीराम की हालत बिगड़ने पर 108 एंबुलेंस के लिए फोन लगाया, लेकिन जब एंब़ुलेंस काफी देर तक नहीं आई तो मजबूरन बारिश होने के दौरान दादा को हाथ ठेला पर लिटाकर जिला अस्पताल ले जाना पड़ा, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसने कहा कि यदि एंबुलेंस समय से आ गई होती तो उसके दादा का जिला अस्पताल में इलाज हो जाता और वह शायद आज उनके बीच होते। उसने बताया कि उसके दादा शहर के प्रसिद्घ मोती मराज मंदिर मोहल्ला घुसयाना के पंडा थे, जो मंदिर की सेवा में लगे रहे। मृतक के दो बेटे हैं।
शव के घर पहुंचने के बाद आई एंबुलेंस
मृतक हरीराम के नाती अंकित ने बताया कि जब चिकित्सकों ने उसके दादा को मृत घोषित कर दिया, तब वह उसी हाथ ठेला पर दादा के शव को घर ले आए। इसके बाद एंबुलेंस वालों का फोन आया कि एंबुलेंस आ गई है।
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