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हमें रील के दौर से निकलकर साहित्य को समझना पड़ेगा: पवन कुमार सिंह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश समाज कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार सिंह ने कहा कि यात्रा महज स्थान परिवर्तन नहीं है। यात्रा एक से दूसरे स्थान के बीच अनुभवों का नाम है। हमें रील के दौर से आगे बढकर साहित्य को समझना होगा।
सिंह यूपी की राजधानी लखनऊ के युवा पत्रकार धीरेंद्र सिंह के यात्रा कहानी संग्रह ‘अल्बलुआ’ के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में रील का चलन बढ़ा है। इससे निकल कर साहित्य को समझने की जरूरत है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व महानिदेशक राकेश तिवारी ने कहा कि घुमक्कड़ी हमारे जीन्स में है। करीब पांच हजार वर्ष पहले ही हमने टिककर रहना सीखा है। इससे पहले हम घुमक्कडी प्रजाति में ही शुमार थे। जितना घूमेंगे उतनी ही इन स्थानों से संबद्धता बढेगी। राहुल सांकृत्यान से बड़ा घुमक्कड नहीं हुआ। अल्बलुआ पठनीय किताब है। इसके लेखक धीरेंद्र सिंह के दिल में शहर धड़कता है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मुकुल श्रीवास्तव ने कहा कि एक ऐसे दौर में जब सारा साहित्य रील में सिमटा है और संवेदनाएं इमोजी में सिमटीं हैं। जब हम सिर्फ देखना और सुनना पसंद कर रहे हैं, लोगों ने पढना कम कर दिया है। ऐसे समय में यात्रा वृतांत की बेहद जरूरत है क्योंकि यात्राएं हमें विनम्र व समावेशी बनातीं हैं। भारत को समझने को यह संग्रह महत्वपूर्ण है।
व्यंग्यकार अनूप मणि त्रिपाठी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण यात्रा वृतांत है। पुस्तक कई धारणाओं को तोड़ती है। इसके लेखक धीरेंद्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर की नई तस्वीर पेश की है। रोमांच, कौतूहूल व अनहोनी है। उनका यह पहला यह पहला प्रयास है, जो महत्वपूर्ण है।
समारोह का संचालन वरिष्ठ उद्घोषिका बिन्दु जैन ने किया। समारोह की शुरुआत लेखक धीरेंद्र सिंह ने अतिथियों का स्वागत कर किया। समारोह में पुस्तक प्रकाशक अविलोम प्रकाशन मेरठ के सह-संपादक अभिनव चौहान मौजूद रहे।(आईएएनएस)