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पीजीआई-लोहिया में स्कैन कराने के लिए दो माह का इंतजार
लखनऊ न्यूज़: पीजीआई और लोहिया संस्थान में पेट (पॉसिट्रॉन एमिशन ट्रोमोग्राफी) स्कैन कराने के लिए मरीजों को डेढ़ से दो माह बाद की तारीख दी जा ही है. वहीं, जांच में देरी से डॉक्टर कैंसर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मुहैया करा पा रहे हैं. साथ ही बीमारी के साथ मरीजों की मुश्किलें बढ़ रही हैं. देरी के कारण दोनों संस्थानों से 50 से अधिक मरीज रोज बिना जांच लौट रहे हैं.
रोजाना 24 मरीजों की हो पाती है जांच कैंसर की सटीक जांच के लिए डॉक्टर अधिकतर मरीजों को पेट स्कैन कराने की सलाह देते हैं. लखनऊ में पीजीआई और लोहिया संस्थान में पेट स्कैन की मशीन लगी है. दोनों जगह रोजाना करीब दो दर्जन मरीजों की जांच हो पाती है.
जांच से पहले देनी पड़तीं दवाएं दरअसल, इस जांच से पहले कुछ जरूरी दवाएं मरीजों को दी जाती हैं, जिसमें समय लगता है. इसके चलते ज्यादा मरीजों की जांच संभव नहीं है. ऐसे में मरीजों को आगे की तारीख दी जा रही है, जबकि दोनों संस्थानों के डॉक्टर ओपीडी व वार्ड में भर्ती करीब 50 मरीजों के पर्चे पर रोज पेट स्कैन लिखते हैं.
बाहरी मरीजों के कारण बढ़ा दबाव डॉक्टरों ने बताया कि पीजीआई व लोहिया संस्थान में इलाज कराने वाले मरीजों के अलावा दूसरे सरकारी व निजी अस्पतालों के मरीज भी पेट स्कैन के लिए यहीं आते हैं. इसकी वजह से जांच के लिए मरीजों को आगे की तारीख दी जा रही है. पीजीआई में यह जांच करीब साढ़े 10 हजार रुपये में होती है, जबकि निजी सेंटर इसके लिए 20 हजार रुपये से अधिक ले रहे हैं.
रायबरेली निवासी राजेश रावत का इलाज पीजीआई के पेट रोग विभाग में इलाज चल रहा है. डॉक्टर ने गाल ब्लेडर में कैंसर के चलते पेट स्कैन कराने की सलाह दी. परिजन उन्हें लेकर न्यूक्लिर मेडिसिन विभाग जांच कराने पहुंचे तो सितम्बर के दूसरे हफ्ते की तारीख दी गई. लोहिया गए तो 30 अगस्त की तारीख मिली.
जानकीपुरम के अरविन्द को पहले पेट में तेज दर्द होने पर निजी अस्पताल में दिखाया. अल्ट्रासाउंड में लिवर में संक्रमण और सूजन बताकर पीजीआई रेफर कर दिया गया. संस्थान में डॉक्टर ने खून की जांच, अल्ट्रासाउण्ड समेत पेट स्कैन लिखा. संस्थान में पेट स्कैन के लिए आठ सितम्बर की तारीख मिली है.