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उत्तरप्रदेश | शिशु अस्पताल को मिल्क बैंक के लिए अभी और इंतजार करना होगा. पांच महीने बीत जाने के बाद भी इसे बनाने वाली स्वयंसेवी संस्था ने कोई जवाब नहीं दिया है. लिहाजा अगस्त में यह शुरू नहीं हो पाएगा. दो मार्च को स्वयंसेवी संस्था ने अस्पताल का दौरा कर छह महीने में इसे शुरू करने का आश्वासन दिया था. इस बारे में अस्पताल प्रबंधन से बातचीत हुई थी.
स्वयंसेवी संस्था सुशेना हेल्थ फाउंडेशन की ओर से डॉ. संतोष कुमार क्रालेती ने तत्कालीन निदेशक ब्रिगेडियर (डॉ.) आरके गुप्ता से मुलाकात कर मिल्क बैंक बनाने की पहल की थी. ताकि सभी नवजात को मां का दूध मिल सके. बाल चिकित्सालय एवं स्नातकोत्तर संस्थान की न्यू बॉर्न केयर यूनिट की प्रभारी डॉ. रुचि राय ने बताया कि यहां मिल्क बैंक बनाना प्राथमिकताओं में है, लेकिन कई पत्र लिखने के बाद भी एनजीओ से जवाब नहीं आया. जल्द सकारात्मक जवाब आने की उम्मीद है.
एक महीने बाद छोटी यूनिट की शुरुआत
मिल्क बैंक से पहले कंप्रिहेंसिव लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट की शुरुआत होगी. इसके लिए बाल चिकित्सालय में काम चल रहा है, जिसे मिल्क बैंक स्थापना के लिए पहला कदम माना है. इससे स्तनपान के लिए मांओं को प्रेरित करने के साथ ही स्तनपान के तरीके भी बताए जाते हैं. अस्पताल प्रबंधन को उम्मीद है कि आने वाले एक महीने के बाद अस्पताल में मिल्क बैंक बनकर तैयार होगा.
मिल्क बैंक से नवजात को फायदा
लगभग 50 प्रतिशत माएं बच्चों को स्तनपान नहीं करा पाती. लिहाजा मिल्क बैंक से ऐसे बच्चों को मां का दूध मिलेगा, जिससे वे विभिन्न बीमारियों से बच सकेंगी. मां के बीमार होने की स्थिति में दूध न बनने पर, मां की मृत्यु होने की स्थिति में आदि में नवजात को दूध दिया जा सकेगा. इनके अलावा अन्य जरूरतमंद बच्चों को भी निशुल्क मां का दूध मिलेगा. इसके लिए महिलाएं दूध दान करती हैं. इनकी शारीरिक जांच के बाद दूध छह महीने तक सुरक्षित रख सकते हैं.
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Harrison
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