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ग्रामीण बोले अलविदा बहना, जलने लगी चिताएं तो बहने लगे नैना
टिकौली गांव का ये हादसा शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा। मंगलवार को गांव के बाहर नौ शवों को मुखाग्नि देने के दौरान हर कोई स्तब्ध था। ऐसे में सांत्वना के अलावा लोगों के पास बोल ही नहीं रह गए थे। गांव में देर शाम तक सुरक्षा के मद्देनजर दो थानों का पुलिस बल तैनात रहा। बता दें कि सोमवार को अटरिया थाना क्षेत्र के इसी टिकौली गांव से ट्रैक्टर ट्राली पर सवार होकर 47 लोग उनई देवी के मंदिर में दर्शन के लिए निकले थे।
देव दर्शन करने निकले एक ही परिवार के सात लोग सहित दस लोगों की मौत हो गई। ट्रक की टक्कर के बाद तालाब के गहरे पानी में गिरे अन्य 37 लोगों को किसी तरह बाहर निकाला जा सका। सभी दस शवों को देर शाम गांव लाया गया। ऐसे में रात में ही 18 वर्षीय अंशिका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। मंगलवार को गांव के बाहर शवों के लिए चिताएं बनाई गई तो गांव में सिर्फ बिलखती हुए लोग ही दिख रहे थे। मातमी मंजर देख पुलिसकर्मियों की भी आंखे नम हो गए। एक एक कर सभी नौ शवों को मुखाग्नि दी गई। ऐसे में सुरक्षा के मद्देनजर देर रात तक दो थानों का पुलिस बल मौजूद रहा।
अब परिवार का क्या होगा
चुन्नीलाल के परिवार में सात लोगों की मौत हुई थी। इसमें महिलाएं और लड़कियां शामिल थी। ऐसे में हर कोई यही कर कहता हुआ मिला की चुन्नीलाल के परिवार की अब जिम्मेदारी कौन संभालेगा। ऐसे में चुन्नीलाल, रामरतन, राजकिशोर और सुखलाल अपने परिवार को ढांढस बंधाते रहे। इस हादसे में सुषमा, रुचि, कोमल, आयुषी, मालती, सुखरानी, केतकी, अंशिका, सुनील और अन्नपूर्णा की मौत हुई है।
दूसरे दिन निहारती रहीं आंखे
हादसे के दूसरे दिन तमाम से बुजुर्ग ऐसे भी थे, जो उस रास्तों को निहार रहे थे। जहां से मंगलगान करते हुए कई परिवार ट्रैक्टर ट्राली में बैठकर देवी मां के मंदिर में दर्शन करने के लिए निकले थे। कहा भी था कि शाम से पहले सभी लोग लौट आएंगे।वहीं दूसरे दिन चुन्नीलाल के घर के अलावा कई घरों में चूल्हे नहीं जले। ऐसे में आसपास मजरों के आए लोगों ने खानपान की व्यवस्था कराई, कुछ परिवार तो ऐसे थे जो आने जाने वालों को जलपान करा रहे थे। सांत्वना देने आने वालों का टिकौली गांव में देर रात तक तांता लगा रहा।
न्यूज़ क्रेडिट: amritvichar