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थाने में पुलिस की थर्ड डिग्री से ग्रामीण की हुई मौत, परिजनों ने किया हंगामा
मोदीपुरम न्यूज़: प्रदीप की दौराला थाने में मौत पर परिजनों एवं ग्रामीणों की माने तो मटौर गांव निवासी प्रदीप पुत्र दल सिंह को पुलिस द्वारा बुधवार सुबह 11 बजे पांच लोगों के साथ जुआ खेलते हुए पकड़ा था। जुआ खेलते हुए जिन छह लोगों को पुलिस ने पकड़ा था। उनमें से एक प्रदीप भी शामिल था। पुलिस ने प्रदीप को शाम पांच बजे तक कस्टडी में रखकर उसे इतनी थर्ड डिग्री दी गई कि शाम पांच बजने से पहले ही उसकी हालत पूरी तरह से बिगड़ गई थी। पुलिस ने देखा कि प्रदीप की जान खतरे में है। पुलिस ने परिजनों को सूचना देकर मौके पर बुलाया। परिजनों ने उसे गंभीर हालत में निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया था। आखिर गुरुवार सुबह साढ़े 10 बजे प्रदीप ने दम तोड़ दिया। प्रदीप की मौत के बाद परिजनों ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाकर जिस तरह से हंगामा किया। उस दशा में फिर परिजनों का अपने बयान से पलटना पुलिस पर सवालियां निशान खड़ा होता दिखाई देता है।
ग्रामीणों में यही चर्चा रही कि आखिर प्रदीप की मौत पुलिस कस्टडी में थर्ड डिग्री की वजह से हुई, लेकिन बाद में परिजन भी अपने बयानों से पलटने की वजह क्या रही। यह सोचने वाला विषय है। चर्चा तो यह भी है कि सीओ दौराला और दौराला इंस्पेक्टर सहित पुलिस अफसरों के निर्देश के बाद परिजनों को मैनेज किया गया। परिजनों को गुपचुप तरीके से साढ़े छह लाख रुपये इस बात के लिए दे दिए गये थे कि वे अपनी जुबान बंद कर लें और प्रदीप की मौत को ब्रेन हेम्ब्रेज से होना बताया जाये। इतना ही नहीं पुलिस ने परिजनों से यह लिखवा लिया कि प्रदीप अक्सर बीमार रहता था। जिसके चलते वह बीमार था। ब्रेन हेम्ब्रेज के चलते उसकी मौत हो गई। पुलिस से उसकी मौत को कोई लेना देना नहीं है। हालांकि प्रदीप की मौत के बाद जनपद में यह खबर आग की तरह फैल गई और आसपास में चर्चा का विषय बन गई।
प्रदीप की पत्नी ने पुलिस पर लगाया आरोप: प्रदीप की पत्नी ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पुलिस ने इतनी पिटाई कि उनकी हालत बिगड़ गई थी। उन्हें दो बजे सूचना मिली थी कि पुलिस तुम्हारे पति प्रदीप को उठाकर ले गई है। मेरे पति को इन पुलिस वालों ने मारा है।
पुलिस ने परिजनों को रुपया देकर मैनेज कराया मामला: पूरे प्रकरण को मैनेज करने के लिए पुलिस ने परिजनों को एक मोटी रकम देकर उनका मुंह बंद कर दिया। हालांकि ग्रामीणों में अंदरुनी तौर पर यही चर्चा है कि पहले तो परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया और फिर बाद में पुलिस द्वारा मैनेज होने के बाद अपने बयान से पलट गये। हालांकि पुलिस और परिवार के लोगों द्वारा इस पूरे प्रकरण को सिरे से खारिज कर दिया गया है, लेकिन क्षेत्र में यह प्रकरण तरह-तरह की चर्चाओं का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि प्रदीप से पुलिस पैसा मंगाने के लिए दबाव डाल रही थी। रुपया मंगाने के लिए उसे थर्ड डिग्री दी गई। वहीं, रुपया वसूलने के चक्कर में प्रदीप को इतना पीटा गया कि उसकी हालत बेहद खराब हो गई। जिसके चलते पुलिस ने आनन-फानन में उसे परिजनों के हवाले करना पड़ा।
पुलिस कह रही प्रदीप को थाने में लाया ही नहीं गया: पुलिस खुद जानती है कि प्रदीप की मौत थर्ड डिग्री की वजह से हुई है, लेकिन वह अपने ऊपर हत्या का आरोप कैसे लगवा सकती है। हत्या से बचने के लिए पुलिस अब यह कह रही है कि प्रदीप को थाने लाया ही नहीं गया। जबकि ग्रामीण और परिजन बुधवार शाम पांच बजे से यह चिल्ला रहे थे कि पुलिस की पिटाई से ही प्रदीप की हालत बिगड़ी है। अब पुलिस ने परिजनों को ऐसे मैनेज किया कि वे भी प्रदीप की मौत को बीमारी से बता रहे हैं।
नहीं कराया गया पोस्टमार्टम भी: पुलिस ने प्रदीप की मौत के बाद उसके शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया। जबकि उसकी मौत की वजह पुलिस थर्ड डिग्री दी जाने से होना परिजन कह रहे थे।
समाज के लोग हो गए थे एकजुट: प्रदीप की उपचार के दौरान जब मौत हुई तो तुरंत दलित समाज के लोग एकजुट हो गए। गांव में किसी तरह का कोई बवाल न हो। उसके लिए पुलिस बल भी हालांकि तैनात हो गया था, लेकिन परिवार के लोग शांत प्रिय माहौल में प्रदीप के शव को लाए और गांव में तुरंत उसका अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि उसके संस्कार के बाद ही पुलिस ने राहत की सांस ली। उधर, मृतक परिवार क ो सांत्वना देने के लिए जनप्रतिनिधि भी उनके घर पर पहुंचे।
पुलिस प्रदीप को उठाकर ही नहीं लाई। पुलिस का इसमें कोई रोल नहीं है। यह महज अफवाह है। पुलिस का इस प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। -रमाकांत पचौरी, इंस्पेक्टर दौराला
पुलिस का इस पूरे प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है। सिर्फ यह महज पुलिस को बदनाम करने की नीयत से अफवाह फैलाई गई थी। -आशीष पटेल, क्षेत्राधिकारी दौराला