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उत्तर प्रदेश
भारत का सांस्कृतिक गौरव निबन्ध संग्रह के लोकार्पण में सम्मानित हुई विभूतियां
Shantanu Roy
29 Jan 2023 10:10 AM GMT

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बस्ती। दुर्गेश कुमार मिश्र सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थान द्वारा कवि सम्मेलन और सारस्वत सम्मान समारोह का आयोजन प्रेस क्लब सभागार में दिल्ली से पधारे वरिष्ठ कवि डा. राधेश्याम बंधु की अध्यक्षता और डा. रामकृष्ण लाल जगमग के संयोजन एवं संचालन में किया गया। इस अवसर पर संस्थाध्यक्ष डॉ. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र द्वारा इंजीनियर दीपक कुमार मिश्र के सौजन्य से प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार हरीलाल मिलन को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र, श्रीफल एवं 11 हजार रूपये का पुरस्कार तथा 6 चयनित मेधावी छात्र-छात्राओं को दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में दो-दो हजार रूपये का पुरस्कार और प्रमाण-पत्र, स्मृति चिन्ह देकर उत्साहवर्धन किया गया। इस अवसर पर डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत 'भारत का सांस्कृतिक गौरव' निबन्ध संग्रह का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। संस्थान के अध्यक्ष डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र ने कहा कि 'भारत का सांस्कृतिक गौरव' निबन्ध संग्रह में देश के अनेक ऐतिहासिक सन्दर्भो को सहेजा गया है जिससे नई पीढी और शोधार्थी अपने देश के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, साहित्यिक घटनाक्रमों से परिचित हो सके। दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में जो सम्मान कवि साहित्यकार एवं चयनित छात्रों को दिया जाता है उसके मूल उद्देश्य में सद्भावना और संकल्प निहित है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरीलाल मिलन ने कहा कि साहित्यकार को सम्मान नवीन ऊर्जा देते है, इससे उसे समाज के प्रति और बेहतर करने का उल्लास बढता है। कहा कि दुर्गेश कुमार मिश्र स्मृति सम्मान की परम्परा निश्चित रूप से एक बड़ी उपलब्धि है।
ज्ञात रहे कि हरीलाल मिलन को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से उनकी कृतियों और साहित्य साधना परढाई लाख रूपये के पुरस्कार साहित्य भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। हरीलाल मिलन ने कहा कि साहित्यकार अपने समय के सत्य का सटीक पारखी है। वह भविष्य दृष्टा भी है। उनकी रचना ' कभी सुख, कभी दुःख के किस्से कहेंगे, गजल गीत दोहों की नदियां बहेंगी, मुझे याद करता रहेगा जमाना, मेरे बाद मेरी किताबें रहेंगी' को श्रोताओें ने सराहा। कार्यक्रम में डा. सत्यव्रत ने डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र कृत 'भारत का सांस्कृतिक गौरव' निबन्ध संग्रह पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि देश, समाज को ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है। इस दिशा में लेखक का प्रयास सराहनीय है। संचालन कर रहे डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने कहा कि 'भारत का सांस्कृतिक गौरव' निबन्ध संग्रह हमें अपनी जड़ों और उसकी सांस्कृतिक चेतना से परिचय कराते हैं। यह पुस्तक हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि साबित होगी। अध्यक्षता करते हुये वरिष्ठ कवि डा. राधेश्याम बंधु ने कहा कि अच्छी किताबें हमारा जीवन बदलती है। उनकी रचना ' आदमी कुछ भी नहीं, फिर भी वतन की शान है, हर अन्धेरी झोपड़ी का वह स्वयं दिनमान है, जब पसीने की कलम से वक्त खुद गीता लिखे, एक ग्वाला भी कभी बनता स्वयं भगवान है'' को श्रोताओं ने सराहा। इस अवसर दुर्गेश कुमार मिश्र की स्मृति में हरीलाल मिलन, डा. राधेश्याम 'बंधु' डा. ओम प्रकाश वर्मा 'ओम' डा. सुरेश 'उजाला'ज्ञानेन्द्र द्विवेदी 'दीपक' डा. रामकृष्ण लाल 'जगमग', विनोद उपाध्याय, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, प्रेमनाथ मिश्र, हरीराम बंसल, श्याम प्रकाश शर्मा, डा. वी.के. वर्मा, श्रीमती नीलम सिंह, पराग कौशिक, वी.के. मिश्र, डा. सत्यव्रत, महेन्द्र सिंह, सुशील सिंह, नरेन्द्र प्रताप सिंह, सर्वेश कुमार श्रीवास्तव, स्कन्द शुक्ल, आलोकमणि त्रिपाठी , डा. अफजल हुसेन अफजल, बी.के. मिश्र आदि को अंग वस्त्र, स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसी कड़ी में निराला साहित्य एवं संस्थान द्वारा डा. त्रिभुवन प्रसाद मिश्र को उनके साहित्यिक योगदान के लिये 'राष्ट्रीय साहित्य मिहिर' सम्मान से सम्मानित किया गया।
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Shantanu Roy
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