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जान बचाने के लिए अंतिम विकल्प के रूप में किया जाता है वेंटिलेटर का प्रयोग
मेरठ: जब किसी मरीज की सांस थमने वाली होती है तो उसे बचाने के लिए वेंटिलेटर का सहारा लिया जाता है। वेंटिलेटर पर मरीज को रखने के बाद उसकी उखड़ती सांसों को थामनें का प्रयास अंतिम होता है। इसमें कामयाबी नहीं मिलने के बाद मरीज का बचना नामुमकिन होता है। लेकिन क्या आप जानते है यही जीवन रक्षक वेंटिलेटर मरीज को बचाने के बाद उसे दूसरी बीमारियां तोहफे में दे देता है।
हालांकि डाक्टर्स का मानना है सबसे पहली प्राथमिकता मरीज की जान बचाने की होती है। इसके बाद शरीर में होने वाली दूसरी समस्याओं को इलाज के जरिये दूर किया जा सकता है। जीवनदाई वेंटिलेटर एक जरूरी उपकरण है जिससे मरीज की जान बचानें में मदद मिलती है। अकेले मेडिकल में ही कुल 176 वेंटिलेटर हैं। इनमें बड़ों के लिए जरूरी 10 प्रतिशत वेंटिलेटर वाले बैड आईसीयू में सुरक्षित रखे गये है।
जबकि बच्चों के वार्ड में कुल 26 वेंटिलेटर है। इमरजेंसी में 100, मेडिसन विभाग में 10, सर्जरी विभाग में 10, एनिस्थिसिया विभाग में 10, कार्डियोलॉजी व न्यूरोसर्जरी विभाग में 5-5 बैड एनएमसी के नियमों के मुताबिक मौजूद है। एडल्ट्स के लिए कुल 150 वेंटिलेटर रखे गए है। जबकि बच्चा वार्ड में नवजातों के लिए 10, दस साल तक के बच्चों के लिए छह व उससे ऊपर उम्र वाले बच्चों के लिए 10 वेंटिलेटर हैं। जबकि जिला अस्पताल में भी चार वेंटिलेटर है।
सभी वेंटिलेटर एक साथ प्रयोग नहीं होते
मेडिकल में मौजूद वयस्कों के कुल 150 वेंटिलेटरों का एक साथ प्रयोग नहीं होता। जैसे जैसे मरीज को जरूरत होती है उसे वेंटिलेटर पर रखा जाता है। इसके बाद मरीज की जान को खतरा नहीं होने पर उसे सामान्य बैड पर ले लिया जाता है। मेडिकल में 12 सौ मरीजों को एक साथ इलाज देने की सुविधा है जिनके लिए इनते वेंटिलेटर काफी है।
वेंटिलेटर से हटने के बाद यह हो सकती है समस्या
वेंटिलेटर पर किसी भी मरीज को अंतिम विकल्प के रूप में रखा जाता है लेकिन इसके साइडइफेक्ट भी होते है। वेंटिलेटर पर रहने के बाद मरीज को वेंटिलेटर इंड्यूस निमोनिया, गले में इन्फैक्शन व वॉकलकार्ड में सूजन आना और फेफड़ों में इन्फैक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। कई बार यह समस्याएं मरीज की सांसे ठीक होने के बाद और बढ़ जाती है जिससे मरीज की जान को भी खतरा हो सकता है। यह समस्याएं बच्चों व वयस्कों दोनो में हो सकती है हालांकि ऐसे मामले कम ही सामने आते है।
वेंटिलेटर एक जीवनदाई उपकरण है जिसका प्रयोग मरीज की जान बचाने के लिए किया जाता है। मरीज को वेंटिलेटर पर रखते समय इसके साइड इफैक्ट्स क्या होगे इस बारे में नहीं सोचा जाता है। पहली प्राथमिकता मरीज को बचाने की होती है।-डा. नवरत्न गुप्ता, एचओडी पीडियाट्रिक विभाग, मेडिकल।
मेडिकल में जितने भी वेंटिलेटर है वह यहां की क्षमता के अनुरूप पूरे है। एक साथ सभी वेंटिलेटरों का प्रयोग नहीं होता है, मरीजों की जरूरत के मुताबिक ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। -डा. विपिन धामा, एचओडी, एनेस्थिसिया विभाग, मेडिकल, मेरठ।