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बाजार और सड़कों के किनारे खड़े होने वाले वाहन बन रहे जाम का कारण
मेरठ: महानगर क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था के लिए बरसों से बनाई जा रही योजनाएं परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। जिसके कारण महानगर के सभी प्रमुख बाजार क्षेत्र की सड़कों के दोनों छोर चौपहिया वाहनों की अवैध पार्किंग में तब्दील हो चुके हैं। जिनके कारण मुख्य मार्ग और बाजार में दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है।
मेरठ महानगर खेल से लेकर सरार्फा व्यापार, कैंची उद्योग समेत विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बन चुका है। यहां रोजाना हजारों की संख्या में दूरदराज के व्यापारी निजी वाहन लेकर आते हैं। इसके अलावा महानगर और देहात क्षेत्र से बड़ी संख्या में खरीदार कारों के जरिये बाजार में पहुंचते हैं। इतना ही नहीं, अपने प्रतिष्ठानों तक आने जाने के लिए अधिकतर लोग चौपहिया वाहनों का प्रयोग करते हैं।
महानगर क्षेत्र में पार्किंग की व्यवस्था न के बराबर होने के कारण दुकानदारों, व्यापारियों, खरीदारों के वाहनों को सड़क और बाजार क्षेत्र में ही दोनों ओर खड़ा कर दिया जाता है। इस बेतरतीब और अवैध पार्किंग के कई दुष्परिणाम सामने आते हैं। इसके कारण समूचे क्षेत्र में जाम की स्थिति बनी रहती है। ऐसे स्थानों पर दिन भर जाम लगा रहता है। वाहन चालकों को पूरे दिन जाम से जूझना पड़ता है। कई जगह बाजार में किसी शोरूम, होटल या बैंक्वेट हाल, स्कूल, अस्पताल आदि के आगे वाहनों की कतार देखी जा सकती है।
जाम का प्रमुख कारण बनने वाले यह वाहन असुरक्षित स्थिति में भी होते हैं। कोई देखभाल करने वाला न होने के कारण वाहनों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं बन पाती। ऐसे में वाहन चोरी होने पर केवल सीसीटीवी के जरिये वाहन चोरी होने के समय का ही पता लग पाता है, चोरों के चेहरे क्लियर न होने की वजह से उनका पकड़ पाना पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। बाजार क्षेत्र के अलावा कई हॉस्पिटल, नर्सिंग होम आदि में भी पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण वहां भी वाहनों को रोड के किनारे ही खड़ा किया जाता है। महानगर क्षेत्र के विभिन्न बाजारों और उनमें आने वाले वाहनों की संख्या को देखते हुए शिद्दत से शहर में 50 से अधिक पार्किंग स्थल की जरूरत महसूस की जा रही है।
नगर निगम की ओर से महानगर में सूरजकुंड पार्क, बेगमपुल के निकट आबूनाले पर, टाउन हॉल और मंगलपांडे नगर में मिमहेंस अस्पताल के बाहर संचालित वाहन पार्किंग के अलावा चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान वाहन पार्किंग के ठेके छोड़ने के लिए 18 स्थानों का चयन किया गया। नगर निगम ने वाहन पार्किंग के लिए जिन संभावित स्थानों की निशानदेही हुई, उनमें जिला कोआपरेटिव बैंक के पास, आबूनाला, आबूनाले की पटरी, टाउन हॉल परिसर, सूरजकुंड पार्क, बेगमपुल पर दयानंद नर्सिंग होम के सामने, मंगल पांडे नगर में मिमहेंस, एपेक्स टावर, कोटेक महेन्द्रा बैंक विवि के सामने, ब्रॉडवे होटल के सामने, भाग्य श्री अस्पताल के सामने, शिवचौक कंकरखेड़ा आदि शामिल हैं। लेकिन करीब 10 महीने पहले जब ठेके छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की गई, तो केवल पांच स्थानों के ही ठेके छोड़े जा सके। बाकी जगहों के ठेके लेने में कोई रुचि नहीं ली गई। इसके अलावा मल्टी लेवल पार्किंग का मुददा भी पिछले कई सालों से केवल प्लानिंग तक सीमित है।
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष विष्णु दत्त पाराशर का कहना है कि नगर निगम के जरिये कचहरी के दोनों ओर सड़क पर ही पार्किंग की व्यवस्था की गई है। जिसका ठेका भी नगर निगम की ओर से दिया गया है। ऐसी बहुत सारी जगह नगर क्षेत्र में तलाश की जा सकती हैं, जहां सड़क के किनारे या नालों पर सिंगल या मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है। महानगर में छोटी ही सही, विभिन्न स्थानों पर पार्किंग बहुत जरूरी है। संयुक्त व्यापार संघ के महामंत्री संजय जैन का कहना है लगभग सभी शहरों में पार्किंग की व्यवस्था होती है।
लेकिन इसे मेरठ का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पुराने शहर में वाहनों को खड़ा करने के लिए कोई स्थान नहीं बनाया गया है। घंटाघर का इलाका नगर के मध्य स्थित है। जहां नगर निगम के पास मल्टीलेवल पार्किंग बनाने के लिए स्थान भी मौजूद है। नगर निगम को चाहिए व्यापारियों की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए इस काम को जल्द से जल्द कराए। और विभिन्न बाजारों में स्थान तलाश करके पार्किंग की व्यवस्था कराए।
नगर निगम की ओर से टाउन हॉल, कचहरी और बेगम पुल नाले पर मल्टी लेवल पार्किंग बनाने के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। जिन्हें शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है। वर्तमान में नगर निगम की ओर से मेरठ महानगर में पांच स्थानों पर पार्किंग की व्यवस्था है। इनमें एक समय पर करीब 500 दोपहिया लाइट वाहन खड़े हो सकते हैं। नगर निगम की ओर से चयनित किए गए अन्य स्थानों के लिए टेंडर जरूर आमंत्रित किए गए थे लेकिन बाकी स्थानों पर ठेकेदारों के रुचि न लेने के कारण टेंडरिंग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है।
-इंद्र विजय, सहायक नगर आयुक्त, नगर निगम मेरठ