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वाराणसी: हल्दिया-वाराणसी-प्रयागराज राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर कार्गो परिवहन की निरंतरता बनाए रखने में आ रही बाधा दूर होने जा रही है. यह बाधा गाजीपुर से सैदपुर के बीच आती है. यहां अलग-अलग जगहों को मिलाकर कुल 19 किमी दूरी में कड़े चट्टान होने से फरवरी से जून तक जहाजों का परिवहन बंद हो जाता है.
भारतीय अंतरदेशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) ने चट्टानों को तोड़ने के लिए टेंडर जारी किया है. उम्मीद है कि के अंत तक कम्पनी का चयन कर मार्च से जून के बीच चट्टान हटाने का काम शुरू कराया जाए. आईडब्ल्यूएआई के वाराणसी कार्यालय प्रभारी आरसी पांडेय ने बताया कि इन चट्टानों को हटाने के लिए ब्लॉस्टिंग मशीन की जरूरत होती है. यह तकनीक औऱ मशीन कुछ कम्पनियों के पास हैं. बताया कि चैनलाइजेशन के बाद मार्ग में मार्च से जून के बीच कम से कम 2.5-3.0 मीटर गहराई में पानी की उपलब्धता रहेगी. इससे वाराणसी से हल्दिया और बांग्लादेश तक कार्गो का परिवहन लगातार जारी रहेगा.
50 मीटर चौड़ा और 3 मीटर गहरा होगा चैनल आईडब्ल्यूएआई के मुताबिक हल्दिया से वाराणसी होते हुए प्रयागराज तक लगभग 1620 किमी लम्बा राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एनडब्ल्यू-1) घोषित किया गया है. एनडब्ल्यू-1 के मार्ग में हल्दिया, कोलकाता, फरक्का, भागलपुर, मुंगेर, बाढ़, मोकामा, पटना, आरा, बक्सर, सारण, बलिया, गाजीपुर, मुगलसराय, वाराणसी और प्रयागराज शहर आते हैं. इस जलमार्ग में मालवाहक जहाजों के परिवहन के लिए 50 किमी चौड़ा और तीन मीटर गहराई चैनल बनाया जा रहा है. हल्दिया से बाढ़ के बीच चैनलाइजेशन का कार्य पूर्ण हो गया है. पटना से बक्सर, बलिया, गाजीपुर औऱ वाराणसी के बीच चैनलाइजेशन के लिए टेंडर जारी किया गया है.
गाजीपुर से वाराणसी के बीच न्यूनतम 1.50 मीटर पानी: आईडब्ल्यूएआई के एक आंकड़े के मुताबिक फरक्का-बक्सर के बीच औसतन 2.0 मीटर गहराई में पानी की उपलब्धता रहती है. गाजीपुर से वाराणसी के बीच 1.5 मीटर और प्रयागराज तक यहीं स्थिति रहती है. ड्रेजिंग के जरिए इसे 2.5 से 3.0 मीटर गहरा चैनल बनाने का लक्ष्य रखा गया है.