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वाराणसी: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का सिविल विभाग के अफसर खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. सिविल विभाग में निजी रजिस्ट्रेशन नंबर वाले वाहनों का धड़ल्ले से कॉमर्शियल उपयोग हो रहा है. मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, अधिशासी अभियंता और एसडीओ इन प्राइवेट गाड़ियों का टैक्सी की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं. आश्चर्य यह है कि जानकारी होने के बाद भी इन वाहनों के किराये का भुगतान कॉमर्शियल वाहन के हिसाब से किया जा रहा है. निजी वाहन स्वामी सिविल विभाग के अफसरों से सांठगांठ कर लाखों रुपये के टैक्स की चोरी कर रहे हैं. इससे सरकारी को राजस्व की भारी क्षति हो रही है. इनमें वे अफसर भी शामिल हैं, जो सेप्टिक टैंक और आरसीसी बेंच घोटाले में फंसे हैं.
निजी और कॉमर्शियल में ऐसे समझें फर्क परिवहन विभाग के नियम के अनुसार निजी वाहन का नंबर सफेद प्लेट पर काले रंग से लिखा होता है. जबकि कॉमर्शियल वाहन की नंबर प्लेट पीले रंग की होती है. निजी नंबर के वाहन के प्रयोग के लिए निबंधन होता है. निजी वाहनों में परमिट की जरूरत नहीं होती. कॉमर्शियल वाहनों में राज्यों के हिसाब से परमिट मिलता है. निजी वाहन का फिटनेस 15 साल का होता है. कॉमर्शियल वाहनों को हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट लेना पड़ता है.
2021 में ही समाप्त हो गया था अनुबंध
विभागीय वाहनों के संबंध में जारी नियमावली के अनुसार अधिकारी डीजल चालित वाहन से चलने के लिए अधिकृत हैं. वाहन 3 वर्ष से पुराना नहीं होना चाहिए और कॉमर्शियल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. लेकिन, एक अभियंता वर्ष 2017 मॉडल की कार से 2020 से 2024 तक हुंडई क्रेटा से चलते रहे हैं. जबकि अनुबंध वर्ष 2021 में ही समाप्त हो गया था. लाभ के लिए अनुबंध की समय सीमा बढ़ाई जाती रही, वाहन के नये टेंडर को अनावश्यक आपत्ति करते हुए निरस्त करा दिया जाता था. वर्ष 2024 में नये टेंडर के तहत एक लग्जरी वाहन से चल रहे हैं. यह वाहन 2016 मॉडल का है.
थाने में खड़ी कराई गाड़ी
परिवहन विभाग के वाहनों की जांच में बिजली विभाग के एक मुख्य अभियंता की कार जब्त कर ली गई थी. जांच में सामने आया था कि निजी वाहन का कामिर्शयल के रूप में इस्तेमाल हो रहा था. वाहन का कॉमिर्शयल में अनुबंध नहीं था. परिवहन विभाग के अफसरों ने जुर्माना लगाया था.
सरकारी कार्यालय में लगे वाहनों का टैक्स में अनुबंध कराना होता है. ऐसा नहीं कराने पर वाहन स्वामी टैक्स की चोरी कर रहे हैं. यह गंभीर मामला है. सिविल विभाग को नोटिस भेजा जाएगा.
-सर्वेश चुतर्वेदी, एआरटीओ, प्रशासन