उत्तर प्रदेश

Varanasi: कारोबारी से 72 लाख ठगने वाले छह साइबर जालसाज गिरफ्तार

Admindelhi1
7 Aug 2024 6:11 AM GMT
Varanasi: कारोबारी से 72 लाख ठगने वाले छह साइबर जालसाज गिरफ्तार
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कई बैंकों के डेबिट कार्ड समेत जाली दस्तावेज बरामद हुए.

वाराणसी: नामी कार कंपनी की एजेंसी दिलाने के नाम पर रियल स्टेट कारोबारी से 72 लाख रुपये ठगनेवाले साइबर जालसाजों के अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया गया. साइबर थाने की पुलिस ने गैंग के सरगना समेत छह शातिरों को गिरफ्तार किया. उनके पास से 30 हजार रुपये, कई बैंकों के डेबिट कार्ड समेत जाली दस्तावेज बरामद हुए.

पुलिस उपायुक्त (अपराध) चंद्रकांत मीणा ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि गौरीगंज (भेलूपुर) निवासी तेजस्वी शुक्ला ने साइबर क्राइम थाने में 72 लाख रुपये ठगी का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल के निर्देश पर घटना के खुलासे के लिए टीम गठित की गई. अपर पुलिस उपायुक्त (अपराध) सरवणन टी., सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) गौरव कुमार की अगुवाई में साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक विजय नारायण मिश्र ने जांच शुरू की. छानबीन में नालंदा (बिहार) के रहनेवाले दीपक कुमार के गैंग की संलिप्तता सामने आई. पुलिस टीम ने जाल बिछाकर सरगना दीपक समेत गिरोह के सदस्य प्रभाकर कुमार उर्फ चीकू, हिमांशु राज, आलोक कुमार और अभिषेक कुमार उर्फ छोटू को कैंट स्टेशन के पास से गिरफ्तार कर लिया.

वेबसाइट से लेकर लेटर तक सब फर्जी पुलिस उपायुक्त (अपराध) चन्द्रकान्त मीणा ने बताया कि गिरोह के सरगना दीपक ने कार की नामी कंपनी के नाम से फर्जी वेबसाइट और ईमेल आईडी बनायी थी. इसपर एजेंसी के लिए विज्ञापन भी अपलोड किया था.

एजेंसी दिलाने का झांसा देने के लिए ईमेल से फर्जी लेटर कारोबारी को भेजा गया था. जिसके बाद रजिस्ट्रेशन फीस, सिक्योरिटी मनी, जीएसटी आदि के नाम पर 72 लाख रुपये विभिन्न खातों में ट्रांसफर करा लिये थे. सर्वे के नाम पर भी पैसे मांगे तो कारोबारी को शक हुआ. पीड़ित ने कार की कंपनी से संपर्क किया तो पता चला वेबसाइट से लेकर लेटर तक सब फर्जी है.

मैनजर और एग्जीक्यूटिव बनकर करते थे बात गिरोह के सदस्यों को अलग-अलग काम बांटा गया गया था. किसी को मैनेजर बनाया गया त्था तो किसी को एग्जीक्यूटिव आफिसर बताया जा रहा था.

दो साल पहले एजेंसी के लिए किया था आवेदन: कारोबारी तेजस्वी शुक्ला ने दो वर्ष पूर्व इसी कार कंपनी की एजेंसी के लिए आवेदन किया था. उस वक्त किसी कारण से एजेंसी नहीं मिल पायी थी. दो वर्ष बाद जब कंपनी के नाम से ईमेल गया तो उन्हें लगा कि कंपनी अब उन्हें एजेंसी देना चाहती है. साइबर थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र के मुताबिक साइबर जालसाज कई बार ऑनलाइन हुए आवदनों आदि का डेटा जुटा लेते हैं. जिनके आधार पर वह लोगों निशाना बनाते हैं.

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