- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- Varanasi: पठन-पाठन में...
Varanasi: पठन-पाठन में एआई का समावेश वक्त की मांग: प्रो. पात्रा
वाराणसी: एआई आधारित शिक्षण और मूल्यांकन प्रणाली समय की मांग है. इसके माध्यम से कम समय में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षण और मूल्यांकन को बढ़ावा मिलेगा. ये बातें शिक्षाविद् प्रो. अमित पात्रा ने कहीं. वह बीएचयू के शिक्षा संकाय में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे.
प्रो. पात्रा ने कहा कि एआई एक ऐसी क्रांति है जिससे समाज का कोई भी वर्ग अछूता नहीं रह पाएगा. इसका यह अर्थ नहीं है कि हम पूरी तरह से उसी पर आश्रित हो जाएं. इससे हमारी अपनी क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. ‘भारतीय शिक्षा प्रणाली वर्तमान परिदृश्य और भविष्य की संभावनाएं’ विषयक संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि पूर्व शिक्षा संकाय प्रमुख प्रो. पीसी शुक्ला ने वर्तमान भारतीय परीक्षा प्रणाली तथा भारतीय समाज संबंधी चुनौतियों पर प्रकाश डाला. उन्होंने प्रचलित रटंत शिक्षण प्रणाली के बजाय तनाव मुक्त परीक्षा पैटर्न, आलोचनात्मक सोच, समझ एवं रचनात्मकता की वकालत की.
आयोजन सचिव प्रो. नागेंद्र कुमार ने वर्तमान परीक्षा प्रणाली पर पुनर्विचार और पुन डिज़ाइन करने की तत्काल आवश्यकता, वर्तमान परीक्षा प्रणाली की समस्याओं के समाधान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भूमिका, ग्रेडिंग के महत्व, व्यापक एवं सतत मूल्यांकन पर चर्चा की. सेंट्रल हिंदू गर्ल्स स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. पंकज गुप्ता ने बाल वाटिका से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक स्कूली शिक्षा के लिए शैक्षिक और गैर शैक्षिक उपलब्धियों का विश्लेषण किया. संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. गोपबंधु मिश्र ने उपनिषदों की कथाओं के माध्यम से बताया कि श्रवण, मनन और निदिध्यासन से परा और अपरा विद्या की प्राप्ति होना चाहिए.
संकाय प्रमुख प्रो. अंजलि बाजपेयी ने आगतों का स्वागत किया. संगोष्ठी के विभिन्न सत्रों में डॉ. किशोर माने, डॉ. छाया सोनी, प्रो. अमित जायसवाल, प्रो. अजग कुमार सिंह, प्रो. विजय जायसवाल, प्रो. एसके स्वाइन, प्रो. अजय कुमार सिंह, डॉ. संजय शर्मा, प्रो. बिंदा परांजपे आदि ने विचार व्यक्त किए. संगोष्ठी में कुल 15 सत्र होंगे. 115 शोधपत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे. विभिन्न राज्यों से 150 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं.