उत्तर प्रदेश

वाराणसी: 50 हजार का इनामी सरकारी डॉक्टर गिरफ्तार

Soni
15 March 2022 6:38 AM GMT
वाराणसी: 50 हजार का इनामी सरकारी डॉक्टर गिरफ्तार
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डॉ.अफरोज के पीछे लगी कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच और सारनाथ थाने की पुलिस ने आखिरकार उसे खोज निकाला और आज उसे अदालत में पेश कर जेल भेजा जाएगा। डॉ. अफरोज के पास से NEET-UG में शामिल हुए अभ्यर्थियों के मूल शैक्षणिक दस्तावेज बरामद हुए हैं। बता दें कि अब तक इस मामले में 19 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। इसके साथ ही 16 आरोपियों की तलाश जारी है।

पुलिस की पूछताछ में डॉ. अफरोज ने बताया कि 2010-11 के सत्र में वह कानपुर के GSVM मेडिकल कॉलेज में MBBS में एडमिशन लिया था। सत्र 2017-18 में वह पास हुआ। 2019 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से मेडिकल ऑफिसर के पद पर उसका चयन हुआ। वर्तमान में वह लखनऊ की दाउदनगर PHC और मोहनलालगंज CHC में बतौर चिकित्सा अधिकारी कार्यरत था। उसका निकाह 2020 में डॉ. शिफा खान से हुआ जो लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में कार्यरत थी। डॉ. अफरोज ने बताया कि वह 2018-19 में लखनऊ आया। उसी दौरान सॉल्वर गैंग के सदस्य KGMU के छात्र डॉ. ओसामा और सरगना नीलेश सिंह उर्फ पीके से संपर्क हुआ। 2021 में नीट परीक्षा में 4 कैंडिडेट के लिए सॉल्वर बैठाकर उन्हें पास कराने का जिम्मा लिया था। 12 सितंबर 2021 को NEET-UG परीक्षा के दिन वाराणसी के सारनाथ क्षेत्र स्थित स्कूल में त्रिपुरा की हिना विश्वास की जगह परीक्षा दे रही BHU की मेडिकल की छात्रा जूली कुमारी और गैंग के अन्य मेंबर के पकड़े जाने पर वह नेपाल भाग गया था।

इसके बाद हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, अपनी ससुराल अमेठी और हैदराबाद में स्थान बदल-बदल कर छिप कर रह रहा था। इसके साथ ही डॉ. अफरोज प्रयासरत था कि उसे HC से एंटीसिपेटरी बेल मिल जाए। पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने बताया कि MBBS में डॉ. अफरोज का चयन CPMT के माध्यम से वर्ष 2010 में हुआ था। काउंसिलिंग के समय ही एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा शिकायत की गई कि उसका सेलेक्शन फर्जी तरीके से सॉल्वर बैठाकर कराया गया है। इसके बाद कानपुर के थाना स्वरूप नगर में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी शिकायत और मुकदमे की जांच के कारण डॉ. अफरोज की इंटर्नशिप रुक गई थी। वर्ष 2017 में मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लग जाने के बाद इंटर्नशिप पूरी हुई थी।

पुलिस कमिश्नर ने बताया कि डॉ. अफरोज को सारनाथ थाना क्षेत्र के सिंहपुर बाइपास क्षेत्र से गिरफ्तार करने वाली टीम में SI सूरज कुमार तिवारी, SI राज कुमार पांडेय, SI अखिलेश वर्मा, SI विकास मिश्रा और कांस्टेबल डेविड, संतोष यादव व अनुग्रह वर्मा की टीम शामिल थी।

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