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वाराणसी: अमेरिका का स्थानीय वृक्ष कहे जाने वाले महोगनी को बेल्हा में भी वन विभाग ने पहली बार तैयार किया है. इसकी लकड़ी बहुत कीमती, सुंदर, टिकाऊ व इतनी मजबूत होती है कि बंदूक व राइफल के बट बनाने में इस्तेमाल होती है. यह देखने में भी बहुत सुंदर लगता है. वन विभाग की सभी नर्सरियों पर इसके पौधे उपलब्ध हैं. इस बार इनके पौधरोपण पर विभाग का खासा जोर है.
वन विभाग 20 से 52 लाख 91 हजार 29 पौधे पूरे जिले में रोपने के लिए अभियान चला रहा है. इस साल पौधरोपण में फलदार पौधों को प्राथमिकता देने के साथ वन विभाग ने पहली बार महोगनी के पौधे तैयार किए हैं. लालगंज के रेंजर एसपी मिश्र ने बताया कि महोगनी का पौधा सीधे बढ़ता है लेकिन उसकी पत्तियां गहन होती हैं जो दिखने में बहुत खूबसूरत लगती हैं, इसलिए इसे सजावटी पौधे के रूप में भी रोपा जा सकता है. वैसे तो इसकी लकड़ी इतनी महंगी होती है कि 12 साल का पौधा होते ही बिकने लगती है लेकिन इसकी लकड़ी को पूरी तरह से तैयार होने में 25 साल तक का समय लग जाता है. बंदूक की बट, जहाज, कीमती नाव, मूर्तियां, सजावटी सामान, महंगे फर्नीचर आदि इसी से तैयार किए जाते हैं. महोगनी से वाद्य यंत्रों से अलग खनकभरी आवाज निकालने के लिए विख्यात हैं.
जिले में विभाग की पौधशालाओं में पहली बार महोगनी के पौधे तैयार किए गए हैं. इन पौधों को पहाड़ी व जलमग्न जमीन के अलावा हर जगह उगाया जा सकता है. यह खेतों की मेड़ों पर भी लगाया जा सकता है. इन पौधों से जहां किसानों की आमदनी बढ़ेगी वहीं पौधरोपण के प्रति लोगों का रुझान भी बढ़ेगा
-केपी यादव, डिप्टी रेंजर सदर
पेड़ का हर हिस्सा कराता है मोटी कमाई
महोगनी की लकड़ी तो दो हजार रुपये फीट की दर तक बिकती ही है इसके पत्ते, बीज, खाल आदि भी महंगे दाम पर बिक जाते हैं. इसके बीज व पत्ते का इस्तेमाल शक्तिवर्धक दवा बनाने में होता है. पत्तों का कैंसर, अस्थमा, ब्लड प्रेशर, सर्दी व सुगर सहित कई बीमारियों से जुड़ी दवाओं में इस्तेमाल होता है. पत्तियों से खेती के लिए कीटनाशक तैयार किया जाता है. पत्तियों के तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट और वार्निस उद्योग में होता है.