उत्तर प्रदेश

वाराणसी देवावली 27 नवंबर को ही मनेगी, देव दीपावली महासमिति ने की घोषणा, कहा- विद्वत परिषद का सम्मान समितियां तय कर रही हैं तारीख

SANTOSI TANDI
30 Sep 2023 6:26 AM GMT
वाराणसी देवावली 27 नवंबर को ही मनेगी, देव दीपावली महासमिति ने की घोषणा, कहा- विद्वत परिषद का सम्मान समितियां तय कर रही हैं तारीख
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महासमिति ने की घोषणा, कहा- विद्वत परिषद का सम्मान समितियां तय कर रही हैं तारीख
उत्तरप्रदेश केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्र ने कहा कि काशी में 27 नवंबर को ही देव दीपावली महोत्सव मनाया जाएगा. इस संबंध में कोई संशय नहीं है. 27 को ही महोत्सव मनाने का निर्णय महासमिति समेत 84 घाटों की समितियों ने लिया है.
पराड़कर भवन में प्रेसवार्ता में आचार्य वागीश ने कहा, देव दीपावली महोत्सव के प्रधान संरक्षक रहे पूर्व काशीनरेश स्व. डॉ. विभूति नारायण सिंह ने काशी के विद्वानों से परामर्श के बाद निर्णय लिया था कि जिस दिन उदया तिथि की पूर्णिमा होगी, उसी दिन देव दीपावली मनाई जाएगी एवं मां गंगा की महाआरती होगी.
उन्होंने कहा कि देव दीपावली लोक पर्व है, इसका आयोजन घाटों की समितियां करती हैं. परंपरा से जिस दिन कार्तिक पूर्णिमा का स्नान होता है, उसी दिन महोत्सव होता है. उन्होंने कहा कि विद्वत परिषद के विद्वानों का पूरा सम्मान है लेकिन परंपरा से आयोजन समिति ही तिथि का निर्णय लेती रही है. उन्होंने कहा कि व्यावहारिक दृष्टि से भी 26 नवंबर को महोत्सव नहीं मनाया जा सकता क्योंकि स्नान की पूर्णिमा 27 नवंबर को है. उससे एक दिन पहले महोत्सव के चलते घाटों पर तेल बिखरा रहेगा जो श्रद्धालुओं के लिए कठिनाई करेगा.
जाह्नवी सेवा समिति के पदाधिकारी एवं काशी विद्वत परिषद के संयोजक डॉ. राजेंद्र पचौरी ने कहा कि परिषद ने नहीं, श्री काशी विद्वत परिषद ने 26 नवंबर का निर्णय दिया है. इस दौरान पंचांगकार भी मौजूद रहे. इस दौरान महासमिति के उपाध्यक्ष गंगाधर उपाध्याय, गंगा सेवा निधि के हनुमान यादव, हनुमान पंचांग के मन्नू सिंह, विश्व पंचांग बीएचयू से सत्येंद्र मिश्रा, गणेश आपा से आदित्य महस्कर, आशीष तिवारी, संजय कुमार पाण्डेय, रमन श्रीवास्तव, रोहित अग्रवाल, पं. बलराम मिश्रा आदि भी मौजूद थे.
मैदागिन स्थित पराड़कर भवन में पत्रकार वार्ता करते केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त शास्त्री.
27 नवंबर की तिथि शास्त्रत्त्सम्मत नहीं है. संस्थाओं ने परिषद से सलाह मांगी थी. परामर्श देना परिषद का दायित्व है. आयोजन की जिम्मेदारी समितियों और जिला प्रशासन की है. देव दीपावली को त्रिपुरोत्सव कहा जाता है. शास्त्रत्तें में प्रदोष व्यापनी पूर्णिमा का विधान है. एक ही काशी विद्वत परिषद है, इसपर भ्रम नहीं होना चाहिए. -पं. रामनारायण द्विवेदी, महामंत्री, श्रीकाशी विद्वत परिषद
27 नवंबर को देव दीपावली महोत्सव मनाना शास्त्रत्त् सम्मत है. ऐसा काशीस्थ श्री गीर्वाणवाग्वर्धिनी सभा का मत है. वैकुण्ठवासी काशी नरेश विभूतिनारायण सिंह ने भी महोत्सव को सूर्योदय कालीन पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद मनाने की व्यवस्था दी थी.
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