उत्तर प्रदेश

Varanasi: बीएचयू बाल सर्जरी विभाग ने खतरनाक विल्स ट्यूमर से पीड़ित बच्चे को दिया नया जीवन

Admindelhi1
27 Dec 2024 11:09 AM GMT
Varanasi: बीएचयू बाल सर्जरी विभाग ने खतरनाक विल्स ट्यूमर से पीड़ित बच्चे को दिया नया जीवन
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"सफल सर्जरी से बना नया आयाम"

वाराणसी: काशी हिन्दू विश्वविद्यालय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (आईएमएस) के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में खतरनाक विल्स ट्यूमर से पीड़ित बिहार गोपालगंज निवासी एक 10 वर्षीय का सफल सर्जरी कर उसे एक नया जीवन मिला है।लगभग दस घंटे तक चली जटिल सर्जरी में ट्यूमर निकलने के बाद बच्चा तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर रहा है। इस क्षेत्र में अपनी तरह का यह पहला मामला है जिसे चिकित्सकों ने सफलता पूर्वक सर्जरी की।

इसी प्रकार का मामला केवल एसजीपीआई लखनऊ में बाल रोगियों में दर्ज किया गया था। संस्थान के बाल सर्जरी विभाग के प्रो.वैभव पांडेय के नेतृत्व में उनकी टीम प्रो. रुचिरा के साथ ही प्रोफेसर अरविंद पांडेय, प्रोफेसर सिद्धार्थ लाखोटिया (कार्डियोथोरेसिक सर्जरी), डॉ. प्रतिभा राय (कार्डियोलॉजी), और डॉ. आरबी सिंह, डॉ. संजीव (एनेस्थिसियोलॉजी), डाॅ.भानुमती कोशिक, डॉ.सेठ कच्छप को यह सफलता मिली है। सफलता इस मायने में भी गरीब आदमी के लिए खास है कि इस इलाज का खर्च पॉच लाख रूपये से अधिक आता है। लेकिन बीएचयू बाल सर्जरी विभाग में इसका खर्च महज 25 हजार रूपये आया। प्रो.वैभव पांडेय के अनुसार पीड़ित बालक को पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में लाया गया। जांच में विल्स ट्यूमर का पता चला था, जिसमें ट्यूमर थ्रोम्बस निचली वेना कावा (आईवीसी) से होते हुए दाहिने एट्रियम तक फैला हुआ था। कीमोथेरेपी से आंशिक सुधार के बाद मामले को अंतिम शल्य चिकित्सा की तैयारी की गई। प्रो.वैभव के अनुसार सर्जरी में पहले बच्चे के किडनी को निकाला गया।

इसके बाद नस में फैले टयूमर को भी निकाला गया । सर्जरी बहुत जटिल थी, ऐसा इसलिए कि आईवीसी नस जो कि पैर की नस, मुख्य नस, लीवर की नस से लेकर हार्ट तक जाता था। इस वजह से मरीज को बाईपास पर लेना पड़ा। इसके पहले डॉ. प्रतिभा राय ने हृदय तक ट्यूमर के विस्तार का विस्तृत आकलन किया, जबकि डॉ. आरबी सिंह और डॉ. संजीव ने एनेस्थीसिया और ऑपरेशन के दौरान होने वाले संभावित खतरों को प्रबंधित करने के लिए विस्तृत योजना तैयार की। लगभग तीन सप्ताह की गहन तैयारी के बाद, मरीज को ऑपरेशन के लिए सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद हृदय को अस्थायी रूप से रोका गया और दाहिने एट्रियम से ट्यूमर थ्रोम्बस को हटाया गया। यह प्रक्रिया एनेस्थीसिया टीम के मार्गदर्शन में निरंतर इन्ट्राऑपरेटिव ट्रांसइसोफेगल इकोकार्डियोग्राफी के तहत की गई।

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