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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: केंद्रीय शिक्षामंत्री बोले- राष्ट्रीय शिक्षा नीति का छात्रों को मिलेगा लाभ, भविष्य होगा सुनहरा
Kajal Dubey
10 July 2022 2:42 PM GMT
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, यूजीसी और बीएचयू की ओर से तीन दिवसीय अखिल भारतीय शिक्षा समागम के समापन समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने चुनौतियों को अवसर में बदलकर आगे बढ़ते रहने की बात कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में ऐसी सुविधा मिलनी चाहिए कि छात्रों को अपना प्रदेश छोड़कर दूसरी जगह न जाना पड़े।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी यही प्रमुख उद्देश्य है। रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर सभागार में राज्यपाल ने कहा कि युवाओं की बौद्धिक क्षमता को पहचानकर उसके अनुरूप काम करने की जरूरत है। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि शिक्षा समागम में पहली बार एक ही छत के नीचे राज्य, केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों के लोग मिले। निश्चित ही इसका लाभ छात्रों को मिलेगा।
आने वाले दिनों में तकनीकी दक्षता के साथ छात्रों को नवाचार के लिए आगे बढ़ाने की जरूरत है। राज्यपाल ने समागम में आने वाले कुलपतियों से टीबी मरीजों को गोद लेने के साथ ही गांवों को गोद लेकर वहां भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का आह्वान किया।
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इक्कीसवीं सदी को ध्यान में रखकर ज्ञान आधारित नीति बनाने की जरूरत है। अखिल भारतीय शिक्षा समागम भारत के नवजागरण में मील का पत्थर साबित होगा। विश्वविद्यालयों को बहुआयामी और बहुविषयी बनाना होगा। विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों को कौशल विकास पर जोर देने की जरूरत है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर समय-समय पर चर्चाएं होती रहेंगी।
शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष सरकार, अन्नपूर्णा ने भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति को शिक्षा के विकास की दृष्टिकोण से बहुत बड़ा कदम बताते हुए कुलपतियों, आईआईटी निदेशक सहित अन्य शिक्षाविदों से इसके प्रचार-प्रसार के लिए कदम आगे बढ़ाते रहने को कहा। अतिथियों का स्वागत यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार और धन्यवाद ज्ञापन यूजीसी सचिव प्रो. रजनीश जैन ने किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति वट वृक्ष, देखभाल करें
शिक्षामंत्री ने कहा कि देश की सभी भाषाएं राष्ट्रीय हैं। भाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा देने की जरूरत है। विश्वविद्यालयों, उच्च शिक्षण संस्थानों की कोशिश यही होनी चाहिए कि समाज की जरूरतों पर आधारित शिक्षा का प्रचार, प्रसार करने के लिए अधिक से अधिक लोगों को काम किया जाए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक वट वृक्ष है और हम सभी की जिम्मेदारी है कि इसका सही से देखभाल करें। जॉब सीकर नहीं बल्कि विश्वविद्यालय जॉब प्रोवाइडर की भूमिका का निर्वहन करें। पांचवीं सदी में तक्षशिला के विनाश से लेकर 19वीं सदी में मैकाले द्वारा उस ज्ञान प्रणाली का विनाश किया गया, जो भारतीय भाषाओं और मूल्यों में हुआ करती थी।
Kajal Dubey
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