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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: भूमिगत मेट्रो स्टेशन के लिए सुरंग की खोदाई शुरू, डेढ़ साल में तैयार होगा 5.5 किलोमीटर का ट्रैक
Kajal Dubey
5 July 2022 4:34 PM GMT
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उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन (यूपीएमआरसी) ने सोमवार से बड़ा चौराहे पर भूमिगत मेट्रो स्टेशन के लिए सुरंग की खोदाई शुरू करा दी है। इसके लिए नाना टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) को लगाया गया है। इस मशीन का नाम नाना राव पेशवा के नाम पर दिया गया है। यह मशीन नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन की तरफ खोदाई करने के साथ ही पक्की सुरंग भी बनाती जाएगी।
एक हफ्ते बाद इसके समानांतर तात्या टीबीएम भी खोदाई शुरू करेगी। इसका नाम तात्याटोपे के नाम पर दिया गया है। बड़ा चौराहा से नयागंज (करीब दो किमी) तक सुरंग बनने में करीब छह माह लगेंगे। यूपीएमआरसी के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बजर दबाकर खोदाई का शुभारंभ किया।
इस भूमिगत सेक्शन में सबसे पहले बड़ा चौराहा से नयागंज तक सुरंग बनेगी। दोनों ही मशीनों को नयागंज में बनने वाले रिट्रीवल शाफ्ट से बाहर निकाला जाएगा। इसके बाद इन्हें चुन्नीगंज में निर्माणाधीन भूमिगत मेट्रो स्टेशन के लिए लांचिंग शाफ्ट से दोबारा उतारा जाएगा। दोनों टीबीएम नवीन मार्केट से होते हुए बड़ा चौराहा तक सुरंग बनाएंगी।
डेढ़ साल में तैयार होगा भूमिगत मेट्रो ट्रैक
मेट्रो रेल के एमडी ने बताया कि देश में सर्वाधिक प्रयोग कानपुर परियोजना में हुए हैं और रिकॉर्ड समय में एलिवेटेड ट्रैक तैयार किया गया है। भूमिगत ट्रैक बनाने में तीन से चार साल का वक्त लगेगा।
सीएसए से बर्रा ट्रैक के निर्माण की अवधि एक साल बढ़ी
एमडी ने बताया कि पहले 2024 के अंत तक कॉरिडोर-2 के तहत सीएसए से बर्रा तक का मेट्रो ट्रैक तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन टेंडर में हुई देरी के कारण अब लक्ष्य 2025 तक निर्धारित किया गया है। वर्ष 2024 में पहले कॉरिडोर (आईआईटी से नौबस्ता) का काम खत्म हो जाएगा। यूपीएमआरसी दोनों कॉरिडोर में 13 किलोमीटर भूमिगत मेट्रो ट्रैक बिछाएगा। सड़क के नीचे जहां सुरंग बनेगी, उसके ऊपर यातायात बाधित नहीं होगा।
इसी माह होगी मेट्रो गो-कार्ड की लांचिंग
एमडी के अनुसार मेट्रो में सफर करने के लिए गो-कार्ड का ट्रायल हो चुका है। इसी माह इसे लांच करने की तैयारी है। मेट्रो एप भी जल्द लांच होगा, जिसके माध्यम से यात्री घर या कहीं और से मेट्रो टिकट बुक करा सकेंगे।
ऐसे काम करेगी 450 टन की मशीन
टीबीएम की लंबाई 80 मीटर और वजन 450 टन है। इसमें सबसे आगे कटर हेड, फिर थ्रस्ट जैक सिलिंडर, स्क्रू कन्वेयर, रिंग इरेक्टर होते हैं। इन मशीनों के माध्यम से 5.8 मीटर व्यास की सुरंग का निर्माण होगा। जमीन में कटर हेड घूमने से खोदाई होती है और मशीन आगे बढ़ती जाती है। मशीन से लगातार पॉलिमर और फोम निकलता है, जिससे खोदाई आसान हो जाती है। कटरहेड का वजन 48 टन है। थ्रस्ट जैक सिलिंडर मशीन को आगे बढ़ाता है। स्क्रू कन्वेयर सुरंग की मिट्टी को बाहर निकालता है। यहां रोज लगभग 400 क्यूबिक मीटर मिट्टी निकलने की संभावना है। रिंग इरेक्टर से कंक्रीट के बने रिंग सेग्मेंटों (हिस्सों) को सुरंग के अंदर लगाया जाता है। छह सेग्मेंट जोड़ने से एक टनल रिंग बनेगी। चुन्नीगंज से नयागंज भूमिगत मेट्रो स्टेशन तक चार किलोमीटर लंबे भूमिगत मेट्रो सुरंग में 3886 रिंग लगेंगी।
कॉरिडोर-1 के भूमिगत मेट्रो स्टेशन (8.6 किलोमीटर): चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज स्टेशन (नरौना चौराहा), कानपुर सेंट्रल स्टेशन, झकरकटी बस टर्मिनल, ट्रांसपोर्ट नगर।
यह है पूरा रूट (23.8 किलोमीटर) : आईआईटी, कल्याणपुर, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, एसपीएम हॉस्पिटल, गुरुदेव चौराहा, गीता नगर, रावतपुर स्टेशन, लाला लाजपत राय हॉस्पिटल, मोतीझील, चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज स्टेशन (नरौना चौराहा), सेंट्रल स्टेशन (घंटाघर), झकरकटी बस टर्मिनल, ट्रांसपोर्ट नगर, किदवई नगर, बसंत विहार, बौद्ध नगर, नौबस्ता। (आईआईटी से मोतीझील के बीच एलिवेटेड ट्रैक पर मेट्रो चल रही।)
कॉरिडोर-2 के भूमिगत स्टेशन : सीएसए, रावतपुर स्टेशन, काकादेव, डबल पुलिया।
यह है पूरा रूट (8.6 किलोमीटर) : सीएसए, रावतपुर स्टेशन, काकादेव, डबल पुलिया, विजय नगर चौराहा, गोविंद नगर, शास्त्री चौक, बर्रा-7, बर्रा-8
मेट्रो रेल परियोजना की अनुमानित लागत : 11076.48 करोड़ रुपये
कार्य की अवधि - पांच साल
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