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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: दंगाइयों ने पार कीं बर्बरता की हदें, गोलियां मार छत से फेंके थे घायल, सांसें चलती देख जला डाला
Kajal Dubey
16 Jun 2022 1:29 PM GMT

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कानपुर में सिख विरोधी दंगे के दौरान निराला नगर में तीन लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। एसआईटी की विवेचना में सामने आया कि इस तिहरे हत्याकांड में दंगाइयों ने बर्बरता की हदें पार कर दी थीं। दो लोगों को पहले गोलियां मारकर छत से फेंका था फिर सांसें चलती देख उन्हें जला डाला था। तीसरे शख्स को गोलियों से भूना था। दंगा पीड़ितों (चश्मदीदों) ने यह खुलासा अपने बयानों में किया है।
निराला नगर निवासी गुरदयाल भाटिया के मकान में सिखों के 12 परिवार किराये पर रहते थे। एक नवंबर 1984 को इस मकान पर धावा बोला गया था, जिसमें भूपेंद्र सिंह, रक्षपाल सिंह व गुरदयाल के बेटे सतवीर की हत्या की गई थी। एसआईटी ने रक्षपाल सिंह की रिश्तेदार सतविंदर कौर और भूपेंद्र सिंह के बेटे परमिंदरजीत सिंह समेत तीन की गवाही कराई।
कोर्ट में सभी प्रत्यक्षदर्शियों ने बयान दर्ज कराए गए, जिसमें उन्होंने बताया कि सबसे पहले दंगाइयों ने भूपेंद्र सिंह व रक्षपाल को गोली मारी। उनको छत से नीचे फेंक दिया। इसके बाद सतवीर सिंह को गोलियों से भून दिया। ऊपरी मंजिल से जब दंगाई नीचे उतरे तो देखा कि भूपेंद्र व रक्षपाल की सांसें चल रही हैं, जिसके बाद उन दोनों को पेट्रोल डालकर फूंक दिया था।
मरते-मरते बच गए थे गुरदयाल
दंगाइयों ने गुरदयाल को भी गोली मारी थी। उनका उर्सला अस्पताल में इलाज चला था। वह बच गए थे। घटनास्थल के सामने रहने वाले डेयरी मालिक वीरेंद्र सिंह ने यह केस दर्ज कराया था। हालांकि एसआईटी ने जब विवेचना की तो वीरेंद्र के खिलाफ भी कुछ साक्ष्य सामने आए। आशंका है कि वह भी दंगों में शामिल था। खुद के बचाव के लिए सामने आकर केस दर्ज कराया था। फिलहाल एसआईटी उसकी भूमिका को गहनता से जांच रही है। पुख्ता साक्ष्य होने पर उसको आरोपी बनाया जा सकता है।
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