उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: आजमगढ़ में आजम खां का छलका दर्द, बोले- केस ही दर्ज कराना था तो ताजमहल या कुतुबमीनार की चोरी का कराते

Kajal Dubey
18 Jun 2022 12:37 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: आजमगढ़ में आजम खां का छलका दर्द, बोले- केस ही दर्ज कराना था तो ताजमहल या कुतुबमीनार की चोरी का कराते
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यूपी के आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने जनपद में डेरा डाल दिया है। इसी क्रम में शनिवार को सपा के वरिष्ठ नेता आजम खां का आजमगढ़ आगमन हुआ। इस दौरान उन्होंने नसीरपुर और मुबारकपुर में जनसभा को संबोधित किया।
सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के समर्थन में जनता से वोट के लिए अपील की। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार और यूपी सरकार के नीतियों पर जमकर बरसे। आजम खां ने कहा कि मुल्क, सूबे और आपकी बेहतरी के लिए हमने और हमारे अपनों ने क्या-क्या नहीं सहा। मेरे खिलाफ सैकड़ों मुकदमे दर्ज हैं। किताबें, फर्नीचर और मुर्गी चोरी ही नहीं, डकैती की धाराएं भी हमारे ऊपर लगाई गई हैं।
हमारे मुखालिफों ने हमारा मयार बहुत हल्का रखा। उन्हें अगर मुकदमा कराना ही था, तो कुतुबमीनार और ताजमहल की चोरी का मुकदमा दर्ज कराते। लोकसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव के समर्थन में आयोजित जनसभा में विधायक आजम खां ने अपना दर्द बयां किया।
आजमगढ़ में आजम खां आठ साल बाद किसी राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे। इस मौके पर सपा के राष्ट्रीय महासचिव बलराम यादव, विधायक आलमबदी, विधायक नफीस अहमद, जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, त्रिभुवन दत्त, पूर्व एमएलसी राकेश यादव उर्फ गुड्डू, विधायक अखिलेश यादव आदि मौजूद रहे।
आजमगढ़ में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार
लोकसभा उपचुनाव ज्यों-ज्यों करीब आ रहा है, उतने ही जोर शोर से प्रचार प्रसार में प्रत्याशी जी जान से लगे हुए हैं। जीत हासिल करने के लिए प्रत्याशी पूरा जोर लगाए हुए हैं। एक तरफ जहां उनके द्वारा मतदाताओं के घर-घर पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं उनके द्वारा भगवान के दरबार में मत्था टेककर जीतकर की दुआ भी मांगी जा रही है।
आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं। बसपा, सपा और भाजपा प्रत्याशी जीत के लिए अपना पूरा जोर लगाए हुए। सपा और भाजपा के दिग्गज नेता जहां कई दिनों से जिले में अपना डेरा जमा चुके हैं। वहीं बसपा के भी दिग्गज नेताओं का आना शुरू हो गया है। 23 जून को मतदान होना है।
सपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती, परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर
बदली सियासी परिस्थितियों में आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव रोचक हो गया है। आजमगढ़ में सैफई परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। शीर्ष नेतृत्व को आजमगढ़ में प्रत्याशी तय करने में वक्त जरूर लगा, लेकिन इसके पीछे कई वजहें रहीं। हालांकि तमाम चर्चाओं के बाद यहां से पूर्व धर्मेंद्र यादव का नाम तय किया गया। सपा के सामने गढ़ बचाने की चुनौती है।
आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में करीब 18.38 लाख मतदाता हैं। इनमें करीब साढ़े तीन लाख यादवों समेत ओबीसी के कुल मतदाताओं की संख्या साढे़ छह लाख से अधिक है। साढ़े चार लाख दलित, साढ़े तीन लाख मुस्लिम और तीन लाख सवर्ण मतदाता हैं। आजमगढ़ लोकसभा क्षेत्र में गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ सदर और मेहनगर विधान सभा क्षेत्र हैं। इन सभी सीटों पर सपा के विधायक हैं। विधानसभा चुनाव 2022 में इन पांचों सीटों पर सपा को 4.35 लाख, भाजपा को 3.30 लाख और बसपा को 2.24 लाख मत मिले थे।
वर्ष 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन था, जिसमें अखिलेश यादव को 6.21 लाख और भाजपा के दिनेश लाल यादव को 3.61 लाख और सुभासपा को 10 हजार से अधिक वोट मिले थे। स्थिति साफ है कि 2019 में यादव, मुस्लिम के साथ दलित वोट भी सपा के साथ था। इस बार बसपा ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मैदान में उतार कर मुस्लिम-दलित गठजोड़ पर दांव खेला है।
ऐसे में सपा के सामने मुस्लिम और यादव वोट बैंक को अपने पाले में बनाए रखने और दलितों को जोड़ने की चुनौती है। यही वजह है कि सपा ने पहले दलित उम्मीदवार के रूप में सुशील आनंद को उतारने की तैयारी की थी, लेकिन उनका नाम दो विधान सभा क्षेत्र में होने से पर्चा खारिज होने की आशंका थी।
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