- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- उत्तर-प्रदेश: जिला जज...
उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: जिला जज की कोर्ट में हिंदू पक्ष करेगा बहस, ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी प्रकरण में सुनवाई आज
Kajal Dubey
18 July 2022 8:56 AM GMT
x
पढ़े पूरी खबर
वाराणसी के ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी प्रकरण में आज सुनवाई होनी है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और अन्य विग्रहों के संरक्षण के मामले को सुनवाई होगी। 15 जुलाई को भी इस मामले की कोर्ट में सुनवाई हुई थी, जिसमें हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने दलील पेश की थी।
अभी तक इस मामले में पहले मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजमिया मसाजिद कमेटी की तरफ से 51 बिंदुओं पर दलील दी जा चुकी है। फिर चार अन्य वादियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन और विष्णुशंकर जैन ने दलील पेश की।
आज वादी राखी सिंह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मानबहादुर सिंह और शिवम गौड़ कोर्ट में दलील पेश करेंगे। बता दें कि श्रृंगार गौरी के दर्शन के लिए पांच महिलाओं की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सुनवाई जिला जज कर रहे हैं। कोर्ट जब यह निर्णय करेगा कि वाद सुनवाई योग्य है या नहीं तब दर्शन किए जाने संबंधी वाद के सुनवाई की प्रक्रिया शुरू होगी।
पिछली सुनवाई पर हुई थी जोरदार बहस
बीते मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी बहस पूरी की थी। दावा किया था कि श्रृंगार गौरी प्रकरण सुनवाई योग्य नहीं है। इस मुकदमे को खारिज किया जाना ही न्यायसंगत होगा। जबकि, हिंदू पक्ष ने बहस शुरू करते हुए कहा था कि श्रृंगार गौरी प्रकरण हर हाल में सुनवाई योग्य है। कहीं नमाज पढ़ने मात्र से वह जगह मस्जिद नहीं हो जाती है।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी और अन्य ग्रहों के नियमित दर्शन पूजन मामले की पोषणीयता पर बीते शुक्रवार को जोरदार बहस हुई थी। सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपनी दलील दी और कहा कि वक्फ बोर्ड देश की सरकारी संपत्तियों को इसी तरह कई जगहों पर कब्जा कर रहा है और हिंदू सो रहे हैं।
हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने ने अदालत में कहा कि ज्ञानवापी को वक्फ संपत्ति घोषित करना बहुत बड़ा षडयंत्र है और जनता को गुमराह किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे अधिकार का अतिक्रमण किया गया। वर्ष 1993 से पूर्व ब्यास जी तहखाने में और जगह-जगह पर पूजा करते थे।
दलील में कहा कि ऑर्डर 7 रूल 11 के आवेदन में जो बात कही गई है, उसी पर कोर्ट विचार करेगी, इसके इतर विपक्षी जो भी बात कहेंगे उस पर विचार का कोई औचित्य नहीं है। जिन स्थलों पर पूजा करने का अधिकार विशेष धर्म उपासना स्थल एक्ट 1991 आने से पहले पूजा का अधिकार प्राप्त था। उन स्थलों पर यह एक्ट प्रभावी नहीं है।
Next Story