उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: सुबह वारदात को दे दिया अंजाम, शाम को पुलिस ने थाने से छोड़ा

Kajal Dubey
11 July 2022 1:54 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: सुबह वारदात को दे दिया अंजाम, शाम को पुलिस ने थाने से छोड़ा
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मूसेपुर में सनसनीखेज वारदात थाना पुलिस की भूमिका और लापरवाही को लेकर सवाल खड़े कर रही है। परिवार ने भी अफसरों के सामने खुलकर आरोप लगाए। उनका कहना है कि थाने से देर रात छूटकर आने के बाद आरोपियों का साहस बढ़ा। दिन निकलते ही उन्होंने वारदात को अंजाम दे डाला। परिवार के आरोप और लापरवाही को ध्यान में रखते हुए एसएसपी ने प्रथम दृष्टया एसएसआई अनिल यादव को लाइन हाजिर कर दिया है। एसपी सिटी को पूरे मामले की जांच सौंपी है।
इस घटना की खबर पर सबसे पहले जब लैपर्ड गांव पहुंची और फायरिंग होती देखी तो सूचना वायरलेस पर प्रसारित की। इसके बाद इंस्पेक्टर लोधा, सीओ गभाना मोहसिन खान, एसएसपी कलानिधि नैथानी, एसपी सिटी कुलदीप सिंह गुणावत, एसपी यातायात मुकेश चंद्र उत्तम, एसपी देहात पलाश बंसल, एसडीएम कोल संजीव ओझा, डीआईजी दीपक कुमार पुलिस बल व क्यूआरटी आदि संग पहुंचे। अधिकािरयों ने पीड़ित परिवारों से वार्ता कर गांव में भ्रमण किया। तब जाकर माहौल सामान्य हो सका। इस दौरान परिवार की पीड़ित पक्ष ने साफ-साफ आरोप लगाए कि चोरी के मामले में थाने से सांठगांठ कर छोड़ा गया। इसी सांठगांठ की वजह रही कि सुबह आधा घंटे तक फायरिंग होती रही। पुलिस को सूचना दी गई। मगर पुलिस देरी से आई। इस दौरान कुछ माह पहले हुई एक अन्य फायरिंग की घटना में भी पुलिस स्तर से कार्रवाई न होने की बात कही गई। दोपहर में गांव पहुंचे पूर्व विधायक ठा. दलवीर सिंह के समक्ष भी यही मुद्दा उठाया गया। उन्होंने इस पर अधिकारियों से नाराजगी व्यक्त की। इन तमाम तथ्यों को देखते हुए एसएसपी ने चोरी प्रकरण को डील करने और तीनों नामजद आरोपियों को छोड़ने वाले एसएसआई अनिल यादव को लाइन हाजिर कर एसपी सिटी को पूरे मामले में जांच सौंपी है।
थाना पुलिस की दलील
आरोपों पर थाना पुलिस की ओर से दलील दी गई कि चोरी के मामले में नामजदों के खिलाफ अभी साक्ष्य नहीं हैं। इसलिए पूछताछ कर छोड़ा गया था। रहा सवाल देरी से आने का तो पुलिस ईद में व्यस्त थी। देरी से नहीं आई। मगर पुलिस की इस दलील पर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि फिर पुलिस की बीट का क्या मतलब, जो इनपुट न जुटा पाए।
तलाशी अभियान में आरोपियों के घरों से मिले हथियार
इस घटना में नामजद 14 आरोपियों में से दोपहर तक पूर्व प्रधान सहित 8 लोग गिरफ्तार कर लिए गए। खास बात है कि घटना के बाद पहुंचे अधिकारियों ने खुद अपनी मौजूदगी में आरोपियों के घरों की तलाशी कराई। इस दौरान कई हथियार बरामद किए गए। प्रकरण में एसएसपी स्तर से गिरफ्तारी के लिए बनाई गईं छह टीमें अन्य नामजदों की तलाश में जुटी हैं।
एसएसपी के अनुसार घटना के संबंध में दर्ज कराए गए मुकदमे में राजू की तहरीर पर देवेंद्र प्रधान, उसके भाई ओमप्रकाश, राम सिंह, भूपेंद्र राना, रवि, बुद्धपाल नेताजी, कालू, राजू (ये सभी गिरफ्तार) के अलावा हरि सिंह, ललित, जीतू, अंशु, रेशमपाल व सोमपाल (ये सभी फरार) नामजद किए गए हैं। एसपी सिटी की अगुवाई में छह टीमें गिरफ्तारी के लिए लगाई गईं हैं। जिनमें सीओ गभाना, इंस्पेक्टर लोधा, हल्का प्रभारी, सर्विलांस, एसओजी व फील्ड यूनिट शामिल है। इधर, एसपी सिटी की अगुवाई में आरोपियों के घर चले तलाशी व दबिश अभियान में 5 लाठी, एक तमंचा 315 बोर, 3 कारतूस, एक सिंगल बैरल बंदूक 12 बोर, 5 कारतूस, 2 फांवड़े, 1 बांक, 1 कुल्हाड़ी आदि आपत्तिजनक सामान बरामद हुआ है। इनमें से कुछ आरोपी तो खुद पर पथराव की शिकायत लेकर थाने पहुंचे तो, जबकि पूर्व प्रधान को गांव से भागते समय व राम सिंह को खेतों में से गिरफ्तार किया गया है। इधर, मौके पर पहुंची फील्ड यूनिट टीम ने आधा दर्जन खोखा 12 व 315 बोर के बरामद किए हैं। साथ में होली चौक, टिंकू के घर से फायरिंग के साक्ष्य व खून के साक्ष्य संकलित किए हैं।
एसओ गभाना शरद की हत्या में आरोपी रहा इस हत्या में एक नामजद
इस हत्याकांड में नामजद बुद्धसेन नेताजी पर वर्ष 1995 में एसओ गभाना शरद कुमार की हत्या का आरोप लगा था। हालांकि बाद में न्यायालय से बुद्धसेन सहित अन्य सभी आरोपी कमजोर पैरवी के चलते बरी हो गए थे। मगर आज फिर बुद्धसेन का नाम सामने आने पर उस घटना की चर्चा होने लगी। उस समय एसओ गभाना रहे शरद की हत्या कन्होई मोड़ पर शराब पी रहे कुछ लोगों द्वारा टोका-टाकी में हुई थी। जिसमें बुद्धसेन सहित कई आरोपी बने थे।
फायरिंग का लाइव वीडियो बना रहे व्यक्ति को ले गई पुलिस
इस घटना के समय जब लैपर्ड मौके पर पहुंची तो गांव का ही एक व्यक्ति मोबाइल में फायरिंग का लाइव वीडियो बना रहा था। उसे लैपर्ड अपने साथ ले गई। पुलिस उस वीडियो के आधार पर आरोपियों को चिह्नित करने का भी प्रयास करेगी।
नामकरण संस्कार में शामिल होने मायके आई थी राधा
अलीगढ़। इस घटना में बाप-बेटी की मौत के बाद परिवार में नाती के जन्म की खुशी काफूर हो गई हैं। घर में मौजूद बड़ी बहू कुसमा व छोटी बहू एकता ने खून के निशान व बायने की डलिया (खुशी के बाद बांटी जाने वाली मिठाई) दिखाते हुए जो दर्द बयां किया, उसे सुनकर कोई भी सिहर उठेगा। दोनों बहुओं ने बताया कि टिंकू गांव में खेतीबाड़ी के साथ कपड़े की दुकान चलाते हैं, जबकि रिंकू दिल्ली में अपना व्यापार करते हैं। चूंकि रिंकू के पहले से चार बेटी थीं। पत्नी के गर्भवती होने पर रिंकू ने गांव में ही छोड़ दिया था। उसने जुड़वां बच्चों में बेटा लोकेश व बेटी लेखा को जन्म दिया। जिनका नामकरण संस्कार धूमधाम से शुक्रवार को मनाया गया। इसमें उनकी दोनों ननद राधा व लता सहित तमाम रिश्तेदार शामिल होने आए थे। बुजुर्ग बाबा भी नाती के आने पर बेहद खुश थे। नामकरण के बाद लता अपनी ससुराल चली गई, जबकि राधा ने अपने बेटे मयंक व बेटी साक्षी को पति संग ससुराल लक्ष्मणगढ़ी भेज दिया। खुद एक-दो दिन बाद आने की कहकर रुक गई। घटना से पहले उसने सुबह खुद गांव के कुछ घरों में बायना बांटा। मगर चंद घंटों बाद उसकी जान चली गई। इस खबर पर उसके पति व बच्चों का हाल बेहाल है।
बूढ़ी मां को नहीं बताई बेटे-नातिन की मौत की खबर
मृत भूरी सिंह की बुजुर्ग मां चंद्रवती अभी जिंदा हैं। चंद्रवती के पांच बेटों में दो की पहले मौत हो चुकी है और तीसरे की आज मौत हो गई। सुबह इस घटना के समय चंद्रवती दूसरे बेटे के घर में थीं। उन्हें भूरी व राधा की मौत की खबर नहीं दी गई। मगर मां को कुछ आभास था और उसके आंसू नहीं रुक पा रहे थे।
भगदड़ में चप्पलें छूटीं, घरों के दरवाजे हुए बंद
जिस दौरान होली चौक और टिंकू की गली में फायरिंग हुई। उस दौरान बचने के लिए महिलाओं की चप्पलें तक छूट गईं। बच्चों को किसी तरह बचाया गया। आसपास के घरों तक के दरवाजे बंद हो गए। काफी देर तक लोग कैद रहे। जब फायरिंग की आवाज बंद हुई, तब धीरे-धीरे लोग बाहर निकलना शुरू हुए।
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