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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: महाभारतकालीन है मढ़ियाघाट का प्राचीन पारसनाथ शिव मंदिर
Kajal Dubey
15 July 2022 5:35 PM GMT

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मैगलगंज। कस्बे से करीब तीन किलोमीटर दूर महाभारत कालीन शिव मंदिर पारसनाथ धाम स्थित है। मान्यता है कि ऋषि पाराशर ने गोमती नदी के तट पर वर्षों तपस्या की और शिव आराधना के लिए यहां पारसनाथ शिविलिंग की स्थापना की। किवदंती यह भी है कि इस प्राचीन शिवलिंग की स्थापना महाभारत काल में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने की थी। भले ही इसके प्रमाण न मिलते हों लेकिन इसकी प्राचीनता निर्विवाद है।
बेहद प्राचीन और सिद्ध शिवमंदिर होने के कारण दूर-दूर से श्रद्घालु पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं। सावन के महीने में तो यहां पूरे माह मेले जैसा दृश्य रहता है। पारसनाथ धाम की महिमा इसलिए और भी बढ़ जाती है कि यहां आदि गंगा गोमती उत्तरवाहिनी हो जाती है। यानि गोमती नदी का बहाव दक्षिण दिशा से उत्तर दिशा को हो जाता है। मंदिर के गर्भगृह में एक ही अरघे में छह शिवलिंग स्थापित हैं। इन पिंडियों को संपूर्ण शिव परिवार का प्रतीक मानकर पूजा अर्चना की जाती है।
वर्तमान मंदिर किसने बनवाया इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन मंदिर का निर्माण करीब 200 साल पहले हुआ बताया जाता है। मंदिर में मिली ईंटों में 1800 अंकित है। बताते हैं कि किसी मुगल शासक ने इस मंदिर पर आक्रमण किया था और यहां स्थापित मूर्तियों को खंडित करने का प्रयास किया था। मंदिर के दक्षिण में रखी खंडित मूर्तियां इस बात की गवाही देती हैं। मंदिर परिसर में ही कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं।
पारसनाथ धाम ऋषिकुल ब्रह्मचारी आश्रम मढियाघाट ट्रस्ट के प्रबंधन में आता है। संस्कृत विद्यालय, गौशाला के नाम हजारों बीघा जमीन है। इसमें कुछ हिस्से में खेती भी होती है। संस्था के संस्थापक नारायण स्वामी के ब्रह्मलीन होने के बाद विवाद के चलते डीएम ने संस्था का अधिग्रहण करके तहसीलदार को रिसीवर नियुक्त कर दिया है।
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