उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: ज्ञानवापी में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों का भी प्रवेश बंद हो, काशी धर्म परिषद की बैठक में संतों की मांग

Kajal Dubey
3 Jun 2022 4:50 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: ज्ञानवापी में हिंदुओं के साथ-साथ मुस्लिमों का भी प्रवेश बंद हो, काशी धर्म परिषद की बैठक में संतों की मांग
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ज्ञानवापी प्रकरण भले ही अदालत में विचाराधीन हो लेकिन इसे लेकर संत समाज मुखर होने लगा है। शुक्रवार को काशी धर्म परिषद की ओर से संतों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें कुल 22 प्रस्तावों पर चर्चा हुई। इसमें प्रमुख रूप से संतों ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में मिले शिवलिंग की तत्काल दर्शन-पूजन की मांग की गई। ऐसा नहीं होने पर ज्ञानवापी परिसर में हिंदुओं के साथ मुस्लिमों का भी आवागमन प्रतिबंधित करने की बात कही गई।
धर्म परिषद ने प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 को खत्म करने की भी मांग उठाई। इसके साथ ही धर्मपरिषद ने निर्णय लिया है कि वह मक्का और मदीना के धर्मगुरुओं को पत्र लिखकर पूछेगा कि किसी और के धार्मिक स्थल को तोड़कर मस्जिद बनाना और उसमें नमाज पढ़ना उचित है। बैठक में संतों ने 22 बिंदुओं के प्रस्ताव को पारित किया।
मस्जिद के इमाम पर एफआईआर दर्ज करने की मांग
शुक्रवार को सुभाष भवन लमही में पातालपुरी मठ के महंत व काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष बालक दास महाराज की अध्यक्षता में बैठक आरंभ हुई। महंत बालक दास महाराज ने कहा कि अपने इष्टदेव का अपमान हम नहीं सह सकते। मस्जिद के इमाम पर एफआईआर दर्ज की जाए, उसके रहते शिवलिंग में छेद कैसे हो गया।
काशी के मंदिरों के विध्वंस के इतिहास को बताया जाएगा
ज्ञानवापी मंदिर परिसर में तत्काल नमाज को बंद किया जाए, नहीं तो हमें भी पूजा का अधिकार दिया जाए। कट्टरता फैलाने वाले ओवैसी जैसे नेताओं पर मुकदमा दर्ज किया जाए, हम लोग 22 सूत्री प्रस्ताव का पत्र राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजेंगे।
विशाल भारत संस्थान के अध्यक्ष, रामपंथ के पंथाचार्य एवं इतिहासकार डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि दुनिया के सभी धर्म स्थलों की तरह काशी में भी पवित्रता का सिद्धांत लागू होना चाहिए। आदि विश्वेश्वर नाथ की परिधि तय हो, जहां उनके भक्तों को ही प्रवेश मिले।
संतों ने की ज्योर्तिलिंग होने की घोषणा
बीएचयू इतिहास विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मृदुला जायसवाल ने पॉवर प्वाइंट के माध्यम से काशी पर हुए मुस्लिम आक्रमण के बारे में जानकारी दी। साक्ष्यों के माध्यम से बताया कि औरंगजेब ने 1669 में आदि विश्वेश्वर के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया था।
साक्ष्यों को देखने के बाद काशी के संत समाज ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में ज्योर्तिलिंग होने की घोषणा की। अधिवक्ता आत्म प्रकाश सिंह ने 1991 के एक्ट के साथ हिंदुओं के पूजा करने के मौलिक अधिकार के सभी कानूनी साक्ष्य प्रस्तुत किए।
बैठक में महंत विजयराम दास, महंत अवध बिहारी दास, महंत राजाराम दास, महंत सत्यस्वरूप शास्त्री, महंत महावीर दास, महंत अरिहंत दास, महंत मोहन दास, महंत लकी पाठक, महंत अनुराग दास, महंत उमेश दास, महंत नारायण दास, महंत सत्यनारायण दास, महंत ईश्वर दास, महंत सियाराम दास, महंत श्रवण दास, सखी श्याम प्रिया मौजूद रहीं।
पारित हुए प्रस्ताव
- वर्ष 1033 ई से 1707 ई तक मुस्लिम हमलावरों एवं लुटेरों द्वारा तोड़े गए काशी के मंदिरों के इतिहास के सच की तलाश की जाएगी।
-औरंगजेब के द्वारा किये गये कृत्य की प्रशंसा और समर्थन मुसलमान न करें।
- ज्ञानवापी मंदिर में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की पूजा, अर्चना, दर्शन का अधिकार हिन्दुओं को है। तत्काल पूजा, दर्शन करने का अधिकार हिन्दुओं को दिया जाए।
-आदि विश्वेश्वर नाथ की परिधि तय की जाए, जिसमें गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित हो।
-आदि विश्वेश्वर नाथ के ज्योतिर्लिंग से छेड़छाड़ करने वालों पर तत्काल मुकदमा दर्ज हो और उन्हें गिरफ्तार किया जाए।
- ज्ञानवापी मंदिर के ऊपरी तल पर नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाए।
- ज्ञानवापी मंदिर के निचले हिस्से को हिन्दुओं के पूजा, पाठ, दर्शन के लिये तत्काल खोला जाए।
- शांति, सौहार्द, भाईचारे की जिम्मेदारी मुसलमान भी उठाएं
- भारतीय मुसलमानों को भी ज्ञानवापी मंदिर के साथ बिन्दुमाधव मंदिर की सच्चाई बताई जाएगी।
-पंचकोसी परिक्रमा मार्ग पर मांस मदिरा की बिक्री एवं सेवन पर सख्ती से प्रतिबंध लगाया जाए।
- हिन्दू धर्म का अपमान करने वालों पर सख्त कार्यवाही हो।
- तोड़े गए मंदिरों, ऐतिहासिक स्थलों की सूची बनाकर कमीशन गठित हो।
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