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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: किसी की आंख खराब तो कोई हाथ-पैर से है अक्षम, आगरा में दिव्यागों ने बनवा लिए ड्राइविंग लाइसेंस
Kajal Dubey
16 July 2022 5:15 PM GMT
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घर बैठे प्रशिक्षु लाइसेंस बनवाने की सुविधा का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसमें दिव्यांगों ने भी अपने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए। स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करने आने पर इसका खुलासा हुआ। ऐसे तीन लाइसेंस अब तक निरस्त किए जा चुके हैं। एआरटीओ का कहना है कि सॉफ्टवेयर की खामी के कारण इस तरह की गड़बड़ियां की जा रही हैं।
आगरा में परिवहन विभाग ने आरटीओ में लोगों को दलालों के चंगुल से बचाने के लिए फेसलेस लर्निंग लाइसेंस की व्यवस्था जनवरी 2022 में शुरू की थी। इसमें आवेदक को सारथी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने के बाद ऑनलाइन टेस्ट देना होता है। इसमें कार्यालय में आने की जरूरत नहीं होता है। दस्तावेजों की स्क्रूटनी भी ऑनलाइन होती है। इसमें टेस्ट के दौरान आवेदक का केवल चेहरा ही दिखाई देता है, कहीं दिव्यांगता नजर नहीं आती है।
आगरा में तीन मामले सामने आए
इसका फायदा उठाकर कुछ दिव्यांगों ने भी अपने लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिए हैं। अभी तक आरटीओ के लाइसेंस पटल के कर्मचारियों के सामने ऐसे तीन मामले सामने आए हैं। जिनके लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्यवाही की गई है। आरआई उमेश कटियार ने बताया कि उनके सामने दो ऐसे प्रकरण आए, जिनमें दिव्यांगों के लर्निंग लाइसेंस बन गए, लेकिन स्थायी लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर खामी पकड़ में आ गई।
स्थायी टेस्ट के दौरान पकड़ी खामी
रायभा, अछनेरा के वेदपाल ने एक अप्रैल को फेसलेस माध्यम से लर्निंग लाइसेंस बनवाया था। एक जुलाई को वह स्थायी लाइसेंस के लिए पुलिस लाइन में टेस्ट देने पहुंचे तो वह पैरों से विकलांग थे। इस पर लाइसेंस को निरस्त किया गया। मलपुरा के राकेश की एक आंख खराब थी। उनका भी लर्निंग लाइसेंस बन गया। इसी तरह पिनाहट के बाबू के दोनों हाथों में विकलांगता पाई गई। इन सभी के लाइसेंस निरस्त किए गए।
'सॉफ्टवेयर में हो रहा बदलाव'
दिव्यांगों के लर्निंग लाइसेंस बनवाने के मामले की जानकारी मिली है। ऐसे लाइसेंस तुरंत निरस्त किए जाते हैं। यह सॉफ्टवेयर की खामी है। इसमें मेडिकल सर्टिफिकेट लगाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए। हालांकि अब सॉफ्टवेयर में एनआईसी द्वारा कुछ बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें एक आईडी से बहुत लोग आवेदन नहीं कर पाएंगे।
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