उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे 3.92 लाख रुपए

Kajal Dubey
16 July 2022 12:54 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: नौकरी दिलाने के नाम पर ठगे 3.92 लाख रुपए
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फतेहपुर। मर्चेंट नेवी में भर्ती कराने और फिर विदेश भेजने के नाम पर युवक से करीब चार लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित ने जब अपनी रकम वापस मांगी तो उसे आरोपी ने धमकाया। पुलिस ने मामले में चार आरोपियों के खिलाफ जांच के बाद मुकदमा दर्ज किया है। इनमें तीन लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं।
खुशवक्तराय नगर के रहने वाले अविनाश त्रिपाठी ने बताया कि उसने वर्ष 2019 में बीएससी किया था। इस दौरान पिता शंकर प्रसाद त्रिपाठी के दोस्त राम प्रकाश सिंह उर्फ राकेश सिंह निवासी कृष्णा कालोनी व उनकी पत्नी शशि सिंह ने कहा कि उनका बेटा आशुतोष सिंह उर्फ शिवम मर्चेंट नेवी में अच्छे पद पर है और कई लड़कों को अपने जरिए ट्रेनिंग कराकर विदेश तक भेज चुका है। इसके लिए राम प्रकाश ने चार रुपये की मांग रखी।
इसके बाद 23 जून 2019 को आशुतोष सिंह ने पिता अपने मित्र शैलेंद्र सिंह उर्फ राजू, निवासी चूना वाली गली हरिहरगंज को अपना सीनियर बताकर पिता से मिलवाया। आशुतोष व उसके पिता रामप्रकाश सिंह, मां शशि सिंह व मित्र शैलेंद्र ने धीरे-धीरे करके अपने खाते में 3.92 लाख रुपये जमा करा लिए। इसके बाद झांसा देना सुरू कर दिया।
फिर बीच में कोरोना काल पड़ गया। काफी दबाव बनाने पर उन्होंने नौकरी न दिलाने की बात कही और जब उसने पैसा मांगा तो उसके साथ गाली-गलौज कर जानलेवा धमकी दी गई। पुलिस ने रामप्रकाश सिंह उर्फ राकेश सिंह, शशि सिंह, आशुतोष सिंह उर्फ शिवम और शैलेंद्र सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इंस्पेक्टर कोतवाली अमित मिश्रा ने बताया कि मुकदमे की विवेचना कराई जा रही है।
युवकों को झांसे में लेकर उनसे ठगी करने वाले मास्टरमाइंड शैलेंद्र सिंह के विरुद्घ सदर कोतवाली में ही 3 जनवरी 2021 को शहर के ही अमित शुक्ल की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी। जिसमें उन्होंने भी अपने साथ ठगी करने और मलेशिया में फंसा देने की शिकायत की थी। मगर इस मामले में भी पुलिस वादी को एक साल से घुमा ही रही है।
शैलेंद्र सिंह पर जो पहली एफआईआर दर्ज हुई उसमें सबसे पहले विवेचना तत्कालीन हरिहरगंज चौकी इंचार्ज विजय त्रिवेदी को विवेचना दी गई। इसके मगर इन्होंने गिरफ्तारी होने के बावजूद शैलेंद्र को मुचलके पर छोड़ दिया। मामला तत्कालीन एसपी सतपाल अंतिल तक पहुंचा तो उन्होंने जांच कोतवाली में तैनात रहे प्रहलाद सिंह यादव को दी।
इन्होंने कोरोना और पंचायत चुनाव में व्यस्तता का हवाला देकर मामला लंबित रखा। फिर विवेचना लखनऊ बाईपास चौकी इंचार्ज साहब सिंह यादव को दी गई। इन्होंने भी विवेेचना को लंबित रखा। अब मामले की जांच प्रवीण कुमार दुबे कर रहे हैं।
वादियों का कहना है कि युवाओं को ठगी का शिकार बनाकर शैलेंद्र ने शहर में आलीशान इमारत खड़ी कर दी है और कई लग्जरी वाहन ले लिए हैं। आरोप है कि पुलिस से सेटिंग के चलते शातिर अब तक पुलिस से बचते आ रहे हैं। कई नेताओं का भी इन्हें संरक्षण प्राप्त है।
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