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नाम मात्र का ले रहे किराया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : शहरों में नगर निगमों और अन्य निकायों की अपनी आवासीय, व्यवसायिक के साथ छोटी-बड़ी दुकानें भी हैं। इन संपत्तियों की देखरेख और किराया वसूली के लिए रेंट विभाग भी है। अधिकतर शहरों में प्राइम लोकेशन पर दुकानें और आवास हैं। उदाहरण के लिए लखनऊ की बात करें तो रिवर बैंक कालोनी सबसे पॉश इलाके में है, लेकिन देखा जाए तो इन संपत्तियों से नाम मात्र का किराया आता है। निकाय इन संपत्तियों की वास्तविक जानकारी भी देने से बचते हैं। इसके पीछे लंबा खेल बताया जाता है।
नाम मात्र का ले रहे किराया
वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड ने प्रदेश भर के निकायों से उनके किराए पर चल रही संपत्तियों और उससे होने वाले आय के बारे में जानकारी मांगी है। कुछ निकायों ने तो जानकारी उपलब्ध करा दी है, लेकिन अधिकतर नहीं दे रहे हैं। गाजियाबाद नगर निगम के पास 1280 दुकानें और 422 ठिये हैं। इसकी कुल संख्या 1702 है। इससे गाजियाबाद नगर निगम को सालभर में मात्र 76 लाख रुपये की आय हो रही है। दुकानों का किराया औसतन 300 से 1500 रुपये महीने है
source-hindustan
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