- Home
- /
- राज्य
- /
- उत्तर प्रदेश
- /
- उत्तर-प्रदेश:...
उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष पर प्रो गुप्त ने लगाया साहित्य चोरी का आरोप
Kajal Dubey
9 July 2022 5:48 PM GMT
x
पढ़े पूरी खबर
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी पर उनके ही विभाग के प्रोफेसर कमलेश गुप्त ने साहित्य चोरी का आरोप लगाया है। उन्होंने फेसबुक पर कवर पेज लगाते हुए लिखा है कि यह सीधे-सीधे साहित्य चोरी और पद के दुरुपयोग का मामला है। वहीं, विभागाध्यक्ष ने इसे साजिश बताते हुए चरित्र हनन का मामला बताया है। उन्होंने पुस्तक के प्रकाशक को पत्र भी लिखा है।
जानकारी के अनुसार, शुक्रवार शाम कला संकाय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने फेसबुक पर एक पुस्तक का कवर शेयर करते हुए लिखा कि पुस्तक के आवरण पृष्ठ पर केवल एक नाम है। वह नाम लेखक का है या संपादक का, यह उल्लेख नहीं है। इससे लगता है कि दिया गया नाम पुस्तक के लेखक का है। अंदर के पृष्ठ पर संपादक के रूप में दो नाम हैं। कॉपीराइट लेखक के नाम है।
उन्होंने यह भी लिखा है कि पुस्तक के अध्याय अष्टम, नवम और दशम की संपूर्ण सामग्री (पृष्ठ संख्या 30 से 62 तक) विकीपीडिया आदि से हूबहू ली गई है। नवम अध्याय में शामिल सामग्री वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव का लेख है।
पुस्तक के लेखन/संपादन में नाम के साथ विभाग के अध्यक्ष पद का भी इस्तेमाल किया गया है। इस तरह यह सीधे-सीधे नकल और पद के दुरुपयोग का मामला है। यदि संबंधित विभागाध्यक्ष ने यह पुस्तक नहीं लिखी है तब और भी गंभीर मामला है कि उनकी जानकारी के बिना उनका नाम कैसे छप गया? वहीं, प्रो त्यागी ने प्रकाशक को लिखकर कहा है कि इस किताब से मेरा रिश्ता प्रदर्शित करने की कूटरचित योजना शानदार है, किंतु यह मेरी किताब नहीं है। इसमें किसी गंभीर साजिश की भूमिका है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो दीपक त्यागी ने कहा कि जिस पुस्तक का उल्लेख करके प्रो कमलेश गुप्त आरोप लगा रहे हैं वह मेरी पुस्तक नहीं है। मैंने इस नाम की कोई भी पांडुलिपि संबंधित प्रकाशक को कभी नहीं दी। मैंने कभी रॉयल्टी भी नहीं ली है। यह किताब मेरे नाम से कैसे छप गई मुझे नहीं मालूम। इसमें गंभीर साजिश की बू आ रही है। मैंने प्रकाशक को पत्र लिखा है। प्रो गुप्त की फेसबुक पोस्ट के बाद मुझे इसके बारे में पता चला, तो संबंधित किताब मंगवाकर देखी। हर किताब में लेखक परिचय, फोटो, मेल आईडी रहता है, लेकिन इसमें नहीं है। प्रो गुप्त ने बिना जाने-समझे इसे सोशल मीडिया पर लिख दिया। वह कूटरचित साजिश रच रहे हैं।
Next Story