उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: 27 जून को वृंदावन में ढाई घंटे रुकेंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के करेंगे दर्शन, आम भक्तों को नहीं मिलेगा प्रवेश

Kajal Dubey
24 Jun 2022 5:24 PM GMT
उत्तर-प्रदेश: 27 जून को वृंदावन में ढाई घंटे रुकेंगे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, ठाकुर श्रीबांकेबिहारी के करेंगे दर्शन, आम भक्तों को नहीं मिलेगा प्रवेश
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के 27 जून को वृंदावन आने का कार्यक्रम जिला प्रशासन को मिल गया है। राष्ट्रपति लगभग ढाई घंटे वृंदावन में रहेंगे। राष्ट्रपति सोमवार सुबह 8:30 बजे राष्ट्रपति भवन से निकलेंगे। उनका एम-117 हेलिकॉप्टर 9:45 मिनट पर वृंदावन कृष्णा कुटीर के पास बने हेलीपैड पर पहुंचेगा। यहां से राष्ट्रपति का काफिला ठाकुर श्रहबांकेबिहारी मंदिर के लिए रवाना होगा।
राष्ट्रपति सुबह 10:05 बजे ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर पहुंचेंगे। मंदिर में कोविंद लगभग 40 मिनट तक रहेंगे। इस दौरान बांकेबिहारी के दर्शन और पूजा-अर्चना करेंगे। वह जब तक बांकेबिहारी मंदिर में रहेंगे, तब तक आम भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर से दर्शन के बाद राष्ट्रपति का काफिला कृष्णा कुटीर के लिए रवाना होगा। 10:55 बजे वह कृष्णा कुटीर पहुंचेंगे। वहां निराश्रित और बेसहारा माताओं से मुलाकात करेंगे। शासन ने इसे हाई-टी का नाम दिया है। दोपहर 12:15 मिनट पर राष्ट्रपति दिल्ली लौट जाएंगे। उनके स्वागत के लिए राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही कृष्णा कुटीर के समीप बने हेलीपैड पर मौजूद रहेंगे।
अपने कार्यकाल के दौरान दूसरी बार आ रहे राष्ट्रपति
ठाकुर श्रीबांकेबिहारी की बांकी झांकी ऐसी है कि एक बार जो दर्शन कर ले, उनका होकर रह जाता है। बार-बार श्रीबांकेबिहारी के दर्शन की अभिलाषा भक्त में बनी रहती है। ऐसी ही अभिलाषा लिए देश के राष्ट्रपति अपने कार्यकाल के दौरान 27 जून को दोबारा श्रीबांकेबिहारी के दर्शन के लिए आ रहे हैं। इससे पहले 28 नवंबर 2019 को राष्ट्रपति परिवार के साथ वृंदावन आए थे।
रामनाथ कोविंद दूसरे ऐसे राष्ट्रपति हैं जो कार्यकाल के दौरान दूसरी बार वृंदावन की पावन धरा पर आ रहे हैं। इससे पहले तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी अपने कार्यकाल के दौरान दो बार वृंदावन आए थे। 16 नवंबर 2014 को प्रणव मुखर्जी ने बांकेबिहारी के दर्शन किए। इसके बाद 18 नवंबर 2015 को राधा रमण मंदिर में माथा टेका था।
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