उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: बाल रोग संस्थान बनकर तैयार, फिर भी पुराने वार्डों में इलाज

Kajal Dubey
19 July 2022 10:04 AM GMT
उत्तर-प्रदेश: बाल रोग संस्थान बनकर तैयार, फिर भी पुराने वार्डों में इलाज
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बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में 278 करोड़ की लागत से बनकर तैयार 500 बेड का बाल रोग संस्थान अब तक शुरू नहीं हो सका। अब भी पुराने भवन में अलग-अलग वार्ड चल रहे हैं। इससे मरीजों व उनके तीमारदारों को परेशानी झेलनी पड़ रही।
जानकारी के मुताबिक, बीआरडी मेडिकल कॉलेज परिसर में राजकीय निर्माण निगम ने बाल रोग संस्थान का निर्माण कराया है। इसमें अलग-अलग उम्र के बच्चों के इलाज के लिए स्पेशल वार्ड बनाए गए हैं। उम्मीद थी कि 400 बेड का चल रहा बच्चों का अलग-अलग वार्ड एक ही छत के नीचे आ जाएगा। इससे इलाज में आसानी होगी। तीमारदारों को भी कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
नौ मंजिला बाल रोग संस्थान छह महीने से बनकर तैयार है। इसके बावजूद एक भी बच्चे को इलाज के लिए भर्ती नहीं किया गया। इससे डॉक्टर, मरीज व तीमारदार तक परेशान हैं। क्योंकि, मौजूदा समय में बाल रोग विभाग अलग-अलग स्थानों पर चल रहा है। इसमें हाई डिफेंसिव यूनिट से लेकर इंसेफेलाइटिस, नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट शामिल हैं।
बाल रोग में नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट की सुविधा
500 बेड के बाल रोग संस्थान में बच्चों के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं। इनमें नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) और पीडियाट्रिक इंटेसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) के बेड बने हैं। ऑक्सीजन से लेकर अन्य सुविधाएं भी हैं। इस वार्ड में गंभीर रूप से बीमार बच्चों का भी इलाज हो सकेगा।
वार्ड में कोरोना मरीजों का चल रहा था इलाज
कोरोना की पहली लहर में जब मरीजों की संख्या बढ़ी तो मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 500 बेड के बाल रोग संस्थान को कोरोना वार्ड बना दिया। पहली लहर से लेकर दूसरी और तीसर लहर के बीच इस वार्ड में 200 बेड में आईसीयू की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी। इसमें गंभीर कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा था।
अलग-अलग वार्ड में चल रहा है बच्चों का इलाज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अभी अलग-अलग वार्ड में बच्चों का इलाज हो रहा है। 100 नंबर वार्ड से लेकर हाई डिफेंसिव यूनिट (एचडीयू), नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट और पीडियाट्रिक इंटेसिव यूनिट चल रहे हैं। ज्यादातर वार्ड फुल रहते हैं।
नेपाल, बिहार और पूर्वांचल से आते हैं मरीज
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में नेपाल, बिहार के गोपालगंज, सिवान, चंपारण, बेतिया, मुजफ्फरपुर सहित पूर्वांचल के आजमगढ़, मऊ, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, देवरिया, महराजगंज, बलरामपुर जैसे जिलों से मरीज आते हैं। इस वर्ष अब तक 59 जेई और एईएस के मरीजों का इलाज किया गया।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने कहा कि बाल रोग संस्थान बनकर तैयार है। डीएम ने गुणवत्ता जांच के लिए कमेटी बनाई है। कमेटी कमियों को देखेगी, फिर रिपोर्ट देगी। अगर कोई कमियां रह जाती हैं तो उसे ठीक कराया जाएगा। अभी भवन भी हैंडओवर नहीं हुआ है। जैसे ही प्रक्रिया पूरी होगी, बाल रोग संस्थान का संचालन किया जाएगा।
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