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उत्तर-प्रदेश: जिंदगी उम्मीद से बड़ी होती है, टूटती है फिर हौसले से खड़ी होती है, पढ़े सीता के संघर्ष भरी कहानी
Kajal Dubey
16 July 2022 5:18 PM GMT
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जिंदगी उम्मीद से बड़ी होती है, टूटती है पर हर बार फिर हौसले से खड़ी होती है...। हिम्मत और हौसले का ऐसा ही उदाहरण हैं झारखंड के धनबाद निवासी सीता। बृहस्पतिवार को सीता अपने पांच साल के बच्चे का स्कूल में प्रवेश कराके लौटीं तो खुशी बांटने के लिए उन्होंने सबसे पहला फोन आगरा किया। बोलीं कि उन्होंने अपना वादा पूरा किया।
यह फोन कॉल संस्था कोशिश फाउंडेशन को आया था। फाउंडेशन के अध्यक्ष नरेश पारस ने सीता के आगरा से जुड़ाव के बारे में बताया। मधुबनी (बिहार) से लापता सीता वर्ष 2017 में गौतमबुद्ध नगर में मिली थीं। अस्पताल में भर्ती कराया। बाद में आगरा में मानसिक आरोग्यशाला में भेज दिया गया। यहां बच्चे को जन्म दिया। स्वस्थ होने सीता के बताए पते पर कोशिश फाउंडेशन ने संपर्क किया तो भाई लेने आया। स्वस्थ होने के बाद शिशु गृह में पल रहे बच्चे को मां को सौंप दिया गया था। जाते समय सीता ने वादा किया था कि बेटे को पढ़ाकर बड़ा आदमी बनाएगी।
पति ने कर ली दूसरी शादी
बच्चे को लेकर सीता जब अपने भाई के साथ घर पहुंची तो पता चला कि पति सहदेव ने दूसरी शादी कर ली है। अब सीता अपने भाई के साथ रहती है। फिलहाल सीता भाई के सहारे ही हैं लेकिन बेटे की जिम्मेदारी संभालने के लिए उनकी योजना है। वह अपने जोड़े हुए पैसों और परिवार की सहायता से पास के बाजार में फलों की ठेल लगाएंगी।
नहीं भुला पाऊंगी आगरा- सीता
अमर उजाला से फोन पर बातचीत में सीता ने कहा कि आगरा उनके पुनर्जन्म की स्थली है। वह लगभग मर चुकी थीं। मानसिक आरोग्यशाला में इलाज से मैं स्वस्थ हुई। मेरा बच्चा भी आगरा की धरती पर महफूज रहा। जब तक जिंदा रहूंगी, आगरा को नहीं भुला पाऊंगी।
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