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उत्तर प्रदेश
उत्तर-प्रदेश: एचआरएफ में नौकरी घोटाला, तीन संविदा कर्मचारी बर्खास्त, एसजीपीजीआई में नौकरी दिलाने वाला गिरोह सक्रिय
Kajal Dubey
19 July 2022 9:10 AM GMT

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एसजीपीजीआई में लाखों के दवा घोटाले के बाद अब नौकरी के नाम पर ठगी का खुलासा हुआ है। एचआरएफ में कार्यरत तीन कर्मचारियों ने एक युवक से एक लाख 30 हजार रुपये लिए और 10 दिन काम भी करा लिया। इस बीच शक के आधार पर जांच हुई तो मामला खुला। आरोपी तीनों संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है।
एसजीपीजीआई में मरीजों से ठगी केबाद अब युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगने वाला गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह के कर्ताधर्ता हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) से जुड़े हैं। इस गिरोह ने जतिन नाम के युवक से एक लाख 30 हजार रुपये लेकर पेशेंट सहायक के पद पर रख लिया। उसे विश्वास दिलाने के लिए एचआरएफ में काम पर लगा दिया। युवक सर्जिकल स्टोर से सामान विभिन्न स्थानों पर पहुंचाने लगा। करीब 10 दिन बाद एक कर्मचारी को शक हुआ तो पूछताछ शुरू हुई। युवक ने स्वीकार किया कि उसे नौकरी पर रखने के एवज में रुपये लिए गए हैं।
इस पर 13 जुलाई को एचआरएफ प्रभारी अभय मेहरोत्रा, सहायक प्रभारी एसके श्रीवास्तव और दीपक सिंह की टीम ने पूरे मामले की जांच की। इस दौरान पता चला कि एचआरएफ में कार्यरत संविदा कर्मचारी रजनीश, देवेश और हिमांशु ने रुपये लेकर जतिन को नौकरी पर रखा था। जांच कमेटी की रिपोर्ट पर इन तीनों कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। ठगी केशिकार हुए जतिन को समझाया गया कि संस्थान में अभी कोई वैकेंसी नहीं निकाली गई है। संविदा के आधार पर जिन लोगों को रखा जाता है, उसकी प्रक्रिया अपनाई जाती है। एचआरएफ प्रभारी अभय मेहरोत्रा ने कहा कि आरोपी कर्मचारियों को हटा दिया गया है। आउटसोर्सिंग केतहत होने वाली तैनाती में भी पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। पूरे मामले की जानकारी संस्थान निदेशक प्रो आरके धीमान को दी जा रही है।
एचआरएफ की व्यवस्था पर भी उठे सवाल
संस्थान में एक युवक 10 दिन तक सर्जिकल स्टोर में काम करता रहा। वह समग्री को इधर- उधर पहुंचाता रहा। इसकी भनक यहां के अधिकारियों को नहीं लगी। ऐसे में एचआरएफ की व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने का दावा किया जाता है। इसके बाद भी अनाधिकृत व्यक्ति कार्य करता रहा। वह वार्ड से लेकर ऑपरेशन थियेटर तक जाता रहा। सर्जिकल स्टोर में होने की वजह से लाखों के उपकरण भी उसके हाथ में थे।
लाखों के दवा घोटाले में हटाए गए थे 18 कर्मचारी
एसजीपीजीआई में पिछले साल करीब 50 लाख का दवा घोटाला हुआ था। इस मामले में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित अन्य राहत कोष से मरीजों के इलाज के लिए मिलने मिले धन में खेल किया गया था। इस मामले के तार भी हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड (एचआरएफ) से जुड़े थे। एचआरएफ के कर्मचारी राहत कोष के तहत मरीज को दी जाने वाली दवाएं फर्जीवाड़ा करकेनिकाल लेते थे। यह दवाएं चिकित्सक केफर्जी हस्ताक्षर और मुहर से निकाली जाती थी। मामला खुलने पर संस्थान के 18 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया। संविदा कर्मचारियों को हटाने के बाद एसजीपीजीआई प्रशासन ने मामले को रफा दफा कर दिया। जबकि पूरे खेल के मास्टर माइंड एचआरएफ के वरिष्ठ अधिकारी थे। इस मामले में भी एचआरएफ की भूमिका पर ही सवाल उठे हैं।
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