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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश : ई-रिक्शा की बढ़ती भीड़ नगर में बन रहा जाम का प्रमुख कारण
Admin2
19 Jun 2022 12:25 PM GMT

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क : नगर में ई-रिक्शा की बढ़ती भीड़ जाम का प्रमुख कारण बन रही है। लगभग दो हजार से अधिक ई-रिक्शा बिना रजिस्ट्रेशन के ही सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। नाबालिग भी ई-रिक्शा चलाकर परिवारीजनों के पोषण में जुटे हैं। रूट निर्धारण न होने के कारण जिधर चाहे उधर शहर की भीड़भाड़ वाले इलाके में रिक्शा चला रहे हैं। ई-रिक्शा के कारण प्राइवेट टैक्सी संचालकों की आमदनी घट गई है। ई रिक्शा संचालक लोगों की मुसीबत का सबब बन चुके हैं।
जिले में लगभग 6500 ई-रिक्शे का संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण कराया गया है। मौके पर जिले में लगभग 15 हजार से अधिक ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है। ई-रिक्शा का संचालन कमर्शियल माना गया है। ई-रिक्शा संचालकों ने रिक्शा चालकों की रोजी-रोटी छीन ली है। एआरटीओ अरविंद कुमार यादव की मानें तो लगभग 20 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो बिना ड्राइविंग लाइसेंस के रिक्शा चला रहे हैं। ई-रिक्शा संचालन के लिए दो पहिया वाहन चलाने का लाइसेंस अनिवार्य माना गया है। ड्राइविंग लाइसेंस में दोपहिया के साथ-साथ ई-रिक्शा संचालन करने की छूट दी जाती है। एआरटीओ के मुताबिक इस समय जिले में करीब 25 ई-रिक्शा बिक्री की एजेंसियां हैं। सभी लोग एआरटीओ कार्यालय से रजिस्ट्रेशन करवाकर ई-रिक्शा की बिक्री करते हैं।
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चालक के हाथ में होता है। यह बात सच है कि ई-रिक्शा संचालन शुरू होने के बाद जिले में बेरोजगारी कम हुई है। फिर भी ई-रिक्शा संचालक नियमों को ताक पर रखकर अपना काम कर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक केवल नगर क्षेत्र में 10 ई-रिक्शों का संचालन होता है। अधिकांश लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होते हैं। ई-रिक्शा संचालकों को लंबी दूरी तक जाने के लिए रोका नहीं जा सकता। तमाम ई-रिक्शा संचालक उतरौला, गोंडा व बहराइच तक लोगों को लेकर जाते हैं। उनका टोल टैक्स भी नहीं लगता और वे टैक्सी स्टैंड का किराया देने से भी बच जाते हैं। सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय से ई-रिक्शा संस्कार को मनमानी करने से कभी रोक नहीं लगाई गई।
सोर्स-hindustan
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