उत्तर प्रदेश

उत्तर-प्रदेश: जंगल पर इंसानी निर्भरता से तराई में बढ़ रहा मानव वन्यजीव संघर्ष

Kajal Dubey
11 July 2022 9:43 AM GMT
उत्तर-प्रदेश: जंगल पर इंसानी निर्भरता से तराई में बढ़ रहा मानव वन्यजीव संघर्ष
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लखीमपुर खीरी। मानव-वन्यजीव संघर्ष का सबसे बड़ा कारण जंगल में इंसानी घुसपैठ और दखलंदाजी है। बरसात के दिनों में जंगल में प्राकृतिक रूप से निकलने वाले मशरूम-कटरुआ और धरती फूल बीनने के लिए सैकड़ों लोग जंगल में घुसपैठ कर रहे हैं। इससे इन दिनों मानव वन्यजीव संघर्ष का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है।
जंगल के आसपास बसे लोग किसी न किसी रूप में जंगल पर निर्भर हैं। वे जंगल से जलौनी लकड़ी, शहद, जड़ी-बूटियां, घर बनाने के लिए लकड़ी, घास-फूस हमेशा से लेते आ रहे हैं। जंगल के संरक्षित घोषित होने के बाद भी जंगल से अपनी जरूरत की चीजें लेना वे इसे अपना अधिकार समझते हैं। इसके लिए वे जान जोखिम में डालकर जंगल में अवैध रूप से घुसपैठ कर रहे हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ रही हैं।
तराई में मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्था ग्लोबल टाइगर फोरम की टीम ने दो साल पहले खीरी और पीलीभीत जिले के जंगल का सर्वे किया था। सर्वे में यह बात सामने आई कि तराई में मानव-वन्यजीव संघर्ष का सबसे बड़ा कारण जंगल में इंसानी दखलंदाजी है। जनसंख्या बढ़ने से जंगलों पर इंसानी दबाव बढ़ा है। उधर, संरक्षण के प्रयासों के चलते बाघों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। अब यह जंगल बाघों के लिए छोटा पड़ने लगा है। इंसान जंगल में तो बाघ इंसानी बस्तियों में घुसपैठ करने लगे हैं। इससे टकराव की स्थिति बढ़ रही है।
वन्यजीव विशेषज्ञ यह मानते हैं कि यदि समय रहते इसे रोकने या कम करने के उपाय न किए गए तो भविष्य में यह समस्या और भी बढ़ सकती है। ग्लोबल टाइगर फोरम वन विभाग के सहयोग से इसी मसले पर काम कर रहा है। मानव वन्यजीव संघर्ष के मामले में तराई का क्षेत्र सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है। हाल ही में हुई दुधवा और कर्तनियाघाट जंगल के बीच मानव बाघ संघर्ष की घटना इसकी ताजी मिसाल है।
बाघों के हैविटेट, मूवमेंट और कॉरीडोर का बनाया डाटा बेस
ग्लोबल टाइगर फोरम ने खीरी जिले और यहां के जंगलों की भौगोलिक स्थिति, बाघों के हैविटेट, बाघों के मूवमेंट के कॉरीडोर, यहां के वेटलैंड और ग्रॉसलैंड आदि का जीपीएस मैप तैयार किया है। ग्लोबल टाइगर फोरम का यह मानना है कि बाघों को उनके स्थान से हटाना संभव नहीं है। उनकी टेरीटरी में इंसानों की घुसपैठ को रोकने के प्रयास होने चाहिए। वन विभाग जंगल में घुसपैठ रोकने का प्रयास भी करता है, लेकिन कर्मियों और संसाधनों की कमी इस काम में आड़े आती है। हाल ही में दुधवा टाइगर रिजर्व के वनकर्मियों ने जंगल में अवैध घुसपैठ करने वाले पांच नेपाली नागरिकों को पकड़ा था, जिनसे पांच लाख रुपये जुर्माना वसूला था।
जनसंख्या बढ़ने के साथ जंगल पर इंसानी दबाव बढ़ रहा है। इंसानी घुसपैठ रोकने के लिए वन विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। जंगल के पास बसे लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं। जंगल में लगातार पेट्रोलिंग कर अवैध घुसपैठ को हतोत्साहित किया जा रहा है।
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