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उत्तर-प्रदेश: संत की कुटिया में ज्ञान पुंज तलाशने आईं महान हस्तियां
Kajal Dubey
13 July 2022 4:32 PM GMT
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मोरना (मुजफ्फरनगर)। वीतराग स्वामी कल्याणदेव की भगवा काया में सेवा का अकूत निष्काम भाव था। संत विभूति का सानिध्य जिन्हें भी मिले, वहीं उनके सेवा यज्ञ में आहुति देकर धन्य हो जाने को लालायित रहा। बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों में उनके आशीर्वाद की अटूट चाह रही। देश के अधिकांश राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ सामाजिक कार्यों में सहभागिता की और उन्हें अपनी जनसेवा से प्रभावित किया।
संत स्वामी कल्याण देव की युग पुरुष स्वामी विवेकानंद से देहरादून तथा खेतड़ी में हुई मुलाकात ने उन्हें 'नर सेवा, नारायन सेवा' का मार्ग दिया। महात्मा गांधी से मिले तो ग्रामोत्थान की ठान ली। जिले में वर्ष 1921-22 के दौरान रहे लाल बहादुर शास्त्री एवं अलगू राय के सात स्वामी जी ने गांव-गांव स्वाधीनता की चेतना जगाई। शुकतीर्थ की ख्याति बढ़े, इसके लिए उन्होंने सियासत के बड़े किरदारों को धार्मिक नगरी बुलाने का अविरल प्रवाह बनाया। वर्ष 1958 में कार्तिक गंगा स्नान मेले में स्वामी जी ने किसान सम्मेलन आयोजित कर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को बुलाया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद वर्ष 1959 में धार्मिक नगरी आए। तभी, संत ने मुजफ्फरनगर से शुकतीर्थ तक विद्युत खंभे लगवाने का मकसद पूरा कर लिया। उस वक्त सीमेंट के खंभे इटली से आये थे। संत की निमंत्रण चिट्ठी जिसे मिलती थी, वो उनके आग्रह को टाल नहीं पाते थे।
राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की ट्रेन मुजफ्फरनगर स्टेशन पर रुकी थी। राजेंद्र बाबू ने स्टेशन पर ही शुकतीर्थ का प्रसाद ग्रहण किया और वीतराग संत की मौजूदगी में प्लेटफार्म पर जनसभा की। 20 जुलाई, 1959 को तत्कालीन राज्यपाल वीवी गिरी ने तीर्थ में आकर उनका आशीर्वाद लिया, जो बाद में राष्ट्रपति रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने वर्ष 1984 में शुकदेव आश्रम में वृद्ध गौशाला का शिलान्यास किया था। गुरुकुल घासीपुरा में उन्होंने आयुर्वेदिक महाविद्यालय संचालित किया, जिसके कार्यक्रम में उस समय देश के रक्षा मंत्री बाबू जगजीवन राम सम्मिलित हुए। वर्ष 1967 में तत्कालीन सीएम चौधरी चरण सिंह जनता इंटर कालेज भोपा पधारे। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने सपरिवार शुकतीर्थ की यात्रा की। उनकी वीतराग संत में गहरी श्रद्धा थी।
संत से जैकेट मांगते रहे शेखावत
शुकतीर्थ। तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत स्वामी जी के तप, त्याग से ऐसे भक्त बने कि दो बार शुकदेव आश्रम आए। वर्ष 2002 में कारगिल शहीद स्मारक का लोकार्पण किया। शेखावत, स्वामी जी से उनकी फटी जैकेट मांगते रहे, मगर संत हंस के टाल गए थे। तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीज ने भी तीर्थ में स्वामी जी से आशीर्वाद लिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी, राजनाथ सिंह आदि कई राज्यों के सीएम और गवर्नर पूज्य संत के दर्शन से खुद को रोक नहीं पाए थे।
इंदिरा गांधी पहुंचीं थीं दर्शन करने
शुकतीर्थ। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शिक्षा ऋषि से कई बार मिली। मुजफ्फरनगर जीआईसी मैदान में सभा करने के उपरांत वह गांधी पॉलिटेक्निक में संत कुटिया पर दर्शन को पहुंचीं थी। वर्ष 1982 में स्वामी जी को राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने पद्मश्री से अलंकृत किया। उस दौरान इंदिरा गांधी ने उनसे भेंट की थी। पूर्व पीएम गुलजारी लाल नंदा स्वामी कल्याणदेव के बेहद करीब रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें पहला नंदा नैतिक पुरस्कार दिया था।
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